दुनिया के सबसे शक्तिशाली राष्ट्र अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कोरोना की वजह से प्रभावित अमेरिकी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए 1३८ लाख करोड़ (१.९ लाख करोड़ डालर) के राहत पैकेज का ऐलान कर अमेरिकियों का दिल जीत िलया हे। यह पैकेज उनका सबसे अहम चुनावी मुद्दा था। २०१९ की जनगणना के अनुसार अमेरिका की आबादी ३२.८२ करोड़ है। यदि हम हिसाब लगाएं तो प्रत्येक अमेरिकी के खाते में १ लाख २ हजार ३३५ रुपए आएंगे। दुनिया में अमेरिका भले ही शक्तिशाली हो, परंतु दुनिया के १५ अमीर देशों की सूची में उसका नंबर १२वां है। यहां पर यह बताना जरूरी है कि किसी भी देश की प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष आय उस देश की सम्पन्नता का पैमाना होता है।
दुनिया का सबसे धनी देश कतर है। अपने प्राकृतिक गैस भंडारों के कारण वह सम्पन्नता में सिरमौर है। कतर में प्रति व्यक्ति आय १,२४,९३० डालर प्रतिवर्ष है। इसकी गणना यदि भारतीय रुपयों में करेंगे तो ९१ लाख ३६ हजार १३० रुपए प्रति व्यक्ति/प्रति वर्ष होगी और मासिक गणना करेंगे तो लगभग ७.५ लाख रुपए प्रति माह होगी। कतर के बाद सिंगापुर (९०५३० डॉलर प्रति वर्ष/प्रति व्यक्ति), यूरोप का लक्जमबर्ग (१०९१९० डॉलर), मिडिल ईस्ट में ब्रुनेई (७६७४० डॉलर), यूरोप का आयरलैंड (७२००० डॉलर), कुवैत (६९६७० डॉलर), यूएई (६८२५० डॉलर) का नंबर आता है। अमेरिका में प्रति व्यक्ति आय ५९५०० डॉलर प्रति वर्ष है जो भारतीय रुपयों में ४३लाख ५१ हजार २३५रुपए होती है।
भारत की बात करें तो हम भारतीयों की वर्ष २०१९ के अनुसार प्रति व्यक्ति/प्रति वर्ष १ लाख २६ हजार ४०६ रुपए है, जो महीने के हिसाब से १० हजार ५३३ रुपए प्रतिमाह होती है। अमेरिका में अमेरिकियों को मिलने वाला बेरोजगारी भत्ता ही हम भारतीयों की मासिक आय से तीन गुना है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने रेस्क्यू प्लान के तहत बेरोजगारी भत्ता भी २१हजार ९२८ रुपए से बढ़ाकर २९ हजार २३८ रुपए प्रतिमाह देने की घोषणा की है।
कामगारों की माली हालत सुधारने के लिए उन्हें दिए जाने वाले पारिश्रमिक भुगतान में भी बढ़ौत्तरी की है। पहले अमेरिका में श्रमिकों को ५११ रुपए प्रति घंटे के हिसाब से पारिश्रमिक दिया जाता था, जिसे अब बढ़ाकर १०९६ रुपए प्रति घंटा की घोषणा की गई है। यदि ब्राइडेन की इन घोषणाओं को अमेरिका की दोनों सदनों में मंजूरी मिल गई तो निश्चित तौर पर वहां की लडख़ड़ाई अर्थव्यवस्था फिर से पटरी पर आने की संभावना बढ़ जाएगी।
कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले देशों में अमेरिका भी है।हमारे देश के वजीरे आजम माननीय नरेंद्र मोदी जी ने भी भारतवासियों के लिए २० लाख करोड़ रुपए के राहत पैकेज की घोषणा की थी। हर भारतीय को यह उम्मीद जगी थी कि उसके बैंक खाते में भी ५-१० हजार रुपए तो आएंगे ही, पर १३८ करोड़ की विशाल जनसंख्यावाले इस देश में २० लाख करोड़ रुपए की रकम ऊंट के मुंह में जीरा साबित हुई और ५-१० हजार तो दूर फूटी कौड़ी भी किसी के खाते में नहीं आई। प्रधानमंत्री जी द्वारा दिए गए २० लाख करोड़ रुपए कहां चले गए किसी को पता नहीं।
जय हिंद