कोरोना के अलावा भी काम जरूरी..!

पिछले करीब आठ महीने से स्वास्थ्य विभाग सिर्फ एक ही मुहिम में लगा है-कोरोना। ऐसा लगता है जैसे इसके अलावा विभाग की अन्य सभी व्यवस्थाएं दुरुस्त हैं। जिले के अस्पतालों में रूटीन चैकिंग भी नहीं हो रही है। परिणाम स्वरूप सरकारी अस्पतालों में स्टॉफ की लापरवाही बढ़ती जा रही है व अन्य जरूरी सेवाओं में कमी आ गई है।

व्यवस्थाओं का आइना के रूप में चरक अस्पताल सामने आई। यहां प्रसुताओं और नवजात शिशुओं के इलाज में घोर लापरवाही चल रही है। आए दिन जच्चा-बच्चा की मौतें हो रही हैं। हाल ही में टायलेट और अस्पताल की सीढिय़ों पर प्रसूति होने की घटनाएं भी सामने आई हैं। लेकिन कोरोना की आवाज में अन्य मरीजों की पुकार दब कर रह गई है।

कोरोना काल के पहले जिला अस्पताल, चरक अस्पताल, जिले के अन्य सिविल अस्पतालों में वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारी और प्रशासनिक अधिकारियों की रूटीन चैकिंग और आकस्मिक निरीक्षण होते रहते थे, जिससे व्यवस्थाओं में सुधार होता रहता था। लेकिन पिछले आठ महीने में इस ओर किसी का ध्यान ही नहीं गया। ऐसे में कोरोना के अलावा अन्य बीमारियों से पीडि़त मरीजों के इलाज में लापरवाही हो रही है। जो जानलेवा बन रही है।

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