लापरवाही : चरक में बिना घूस के मरीजों को हाथ नहीं लगाता स्टॉफ
उज्जैन,अग्निपथ। चरक हास्पीटल में शनिवार को लापरवाही की इंतहा देखने को मिली। एक महिला गर्भस्थ शिशु की मौत होने पर डाक्टर ने इलाज की जगह इंदौर ले जाने का कह दिया। वहीं दो प्रसुताओं की टायलेट में और एक महिला की बेड पर प्रसूति हो गई। मामलों में परिजनों ने आरोप है कि स्टॉफ बिना रुपए लिए देखने को तैयार नहीं होता।
सुबह शिशु की मौत, शाम को इलाज
तिलकेश्वर कॉलोनी निरवासी काजल पति सूरज चौहान (24) पांच माह से गर्भवती थी। 16 जनवरी को डाक्टर ने चेकअप का कहा था। शनिवार सुबह 7 बजे परिजन लेकर गए तो सोनोग्राफी में शिशु के मृत होने का पता चला। परिजनों ने दूसरे माले पर 6 नंबर बेड पर भर्ती कर दिया। बाद में डाक्टर से ऑपरेशन का कहा, लेकिन डाक्टर ने अर्थपूर्ति नहीं होने पर इंदौर ले जाने की सलाह दे दी। पता चलने पर अग्निपथ संवाददाता मौके पर पहुंचा और ड्यूटी पर मौजूद डाक्टर आभा सूर्यवंशी को स्थिति बताने का प्रयास किया। बावजूद वह पीडि़ता को देखने को तैयार नहीं हुई।
अस्पताल में परिजनों ने करवाई डिलेवरी
मऊ निवासी हमीदा पति आसीफ (20)ने बताया कि डिलवेरी होने के कारण वह तोपखाने स्थित मायके आई है। शुक्रवार को उसे चरक में दूसरे माले पर 1 नंबर बेड भर्ती किया। रजाई तक परिजन लाए। डाक्टर प्रसूति आपरेशन से चाहते थे। गुहार के बाद भी नहीं माने।
इसी बीच शुक्रवार सुबह पीड़ा के साथ रक्तस्त्राव हुआ, लेकिन मिन्नतों के बाद भी लेबर रूम नहीं ले गए। नतीजतन उसने बेड पर ही शिशु को जन्म हो गया। अस्पताल में मौजूद अन्य प्रसुताओं के परिजनों ने बताया कि शुक्रवार को दो प्रसुताओं को पीड़ा होने पर डाक्टर नहीं आई और टायलेट में प्रसूति हो गई।
इनका कहना है..
गर्भ में बच्चे के ठीक नहीं होने का पता चला। परिजन ऑपरेशन की जिद कर रहे थे। लेकिन खून की कमी होने के कारण नहीं किया। मेडिसिन से भी ठीक कर सकते थे। काम में व्यस्तता के कारण अन्य प्रसुताओं के मामलों की जानकारी नहीं है। -डॉ. संगीता पलसानिया, लेबर रूम इंचार्ज, चरक हॉस्पीटल