उज्जैन, अग्निपथ। उज्जैन में मोक्ष दायिनी शिप्रा नदी में एक बार फिर नाले का गन्दा पानी मिलना शुरू हो गया है। लाखों-करोड़ों रुपए के खर्च के बाद भी शिप्रा में शहर का गंदा पानी मिलना बंद नहीं होना हमारे लिए सबसे बड़े दुर्भाग्य की बात है।
प्री-मानसून की पहली ही बारिश के बाद शनिवार को शिप्रा में फिर गंदा पानी मिलना शुरू हो गया है। इसकी जानकारी जिम्मेदारों तक पहुंची तो हडक़ंप मच गया। सूचना मिलने पर निगम कमिश्नर तुरंत रामघाट पहुंचे। शिप्रा में गंदा नाले का पानी मिलने से वहां मौजूद लोगों में आक्रोश फैल गया।
उज्जैन में शुक्रवार की रात से ही रुक रुक कर बारिश का दौरा जारी है। बारिश से शिप्रा नदी का जल स्तर तो नहीं बढ़ा लेकिन शनिवार सुबह रामघाट स्थित नाले के चेंबर में जरूर उफान आ गया जिससे शिप्रा नदी में हल्की बारिश से मल मूत्र और नाले का गन्दा पानी मिलने लगा। इसको लेकर रामघाट पर तीर्थ पुरोहितों द्वारा कड़ा विरोध दर्ज कराया गया है वही स्नान करने आने वाले श्रद्धालु भी गंदा पानी को मिलता देख शिप्रा में नहाने से बचते नजर आए।
पहले भी मिल चुका है सीवरेज का पानी
इससे कुछ दिन पहले ही शिप्रा नदी में नगर निगम की गलती से हजारों गैलन सीवरेज का पानी मिल गया था। महापौर मुकेश टटवाल ने कहा कि जानकारी मिलते ही कमिश्नर और अन्य अधिकारी पहुंचे थे। इससे पहले भी जिम्मेदारों पर कार्य की गई थी। इस मामले में भी जो भी जिम्मेदार होगा उस पर कार्यवाही की जायेगी।
लाखों खर्च लेकिन शिप्रा नहीं हो पा रही शुद्ध
शासन एवं प्रशासन द्वारा लाखों रुपए खर्च कर शिप्रा को शुद्ध करने के लिए कई तरह की योजनाएं बनाई गई हैं। शहर में भी स्मार्ट सिटी के माध्यम से अंडरग्राउंड सीवरेज सहित खान डायवर्सन व अन्य कई योजनाओं को लागू किया गया है । जिससे कि शिप्रा में गंदे नाले नहीं मिल सकते लेकिन करोड़ रुपए खर्च होने के बाद भी लगातार शिप्रा में गंदे नालों के पानी का मिलने का क्रम लगातार जारी है।