उज्जैन, अग्निपथ। श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के वरिष्ठजनों के व्यवहार और मीटिंग के दौरान की गई टिप्पणियों से मंदिर कर्मचारियों में निराशा का भाव है। रविवार 25 जून को मीटिंग के दौरान कर्मचारियों की भावनाओं का ख्याल नहीं रखते हुए उन पर गलत टिप्पणी भी की गई थी।
रविवार को मंदिर समिति की मीटिंग में मंदिर समिति के कर्मचारियों के 30 प्रतिशत इंक्रीमेंट का प्रस्ताव रखा गया था। सूत्रों के मुताबिक जिम्मेदारों ने यह प्रस्ताव यह कहकर खारिज कर दिया कि मंदिर समिति के कर्मचारी ईमानदारी से काम नहीं करते हैं। सोमवार को मीडिया के जरिए जब कर्मचारियों को इस बात की जानकारी हुई तो उनमें निराशा और आक्रोश की स्थिति देखी गई।
नाम नहीं छापने की शर्त पर कुछ कर्मचारियों ने बताया कि अभी तक का रिकार्ड है कि महाकाल मंदिर में कैसी भी परिस्थिति रही हो, कर्मचारियों ने भी आगे रहकर अपनी जिम्मेदारी से अधिक काम किया और मंदिर की व्यवस्थाओं को सुचारू किया है। नियमानुसार ८ घंटे कर्मचारियों को काम करना है, लेकिन कई विभाग ऐसे भी हैं जहां कर्मचारी रोज 10 घंटे या अधिक समय तक अपना काम कर रहे हैं, वो भी बिना किसी अतिरिक्त भत्ता या कोई सुविधा के।
जो कामचोर हैं उन्हें बाहर करें
कर्मचारियों का कहना है कि मंदिर समिति का जो भी कर्मचारी ईमानदारी से काम नहीं कर रहा है, उसे चिह्नित कर तुरंत बाहर किया जाना चाहिए, लेकिन जो पूरी लगन-मेहनत और ईमानदारी से काम कर रहे हैं, उन्हें प्रोत्साहन तो मिलना ही चाहिए।
दो साल से न इंक्रीमेंट मिला न यूनिफॉर्म
नियमानुसार कर्मचारियों को हर साल 8 प्रतिशत इंक्रीमेंट का प्रावधान हैं, लेकिन पिछले दो सालों से कर्मचारियों को इंक्रीमेंट ही नहीं दिया गया है। यहां तक की यूनिफॉर्म के लिए भी पिछले दो सालों से रुपए नहीं दिये गये हैं। पुरानी यूनिफॉर्म से ही कर्मचारी काम चला रहे हैं। हम आपको बता दें मंदिर समिति में 315 कर्मचारी कार्यरत हैं। ये सभी वर्ष २०1८ के पहले के हैं। इसके बाद से समिति सिर्फ आउटसोर्स कर्मचारियों से ही काम ले रही है।