रुनीजा (बडऩगर), अग्निपथ। शासन द्वारा आत्मनिर्भर भारत, आत्मनिर्भर मध्य प्रदेश, आत्मनिर्भर गांव के नारे तो दिए जा रहे हैं। लेकिन आजादी के 75 सालों के बाद भी गांव की हालत नहीं सुधरी है। गांव के लोग आज भी परेशानियां झेल रहे हैं। ग्राम जलोद संजर से अजडावदा, बालोदा कोरन पहुंच मार्ग बरसों पुराना है। लेकिन उस मार्ग कि आज तक किसी ने सुध नहीं ली यही कारण है कि मामूली बरसात में ही पहुंच मार्ग कीचड़ व पानी से तालाब बन जाता है। ऐसे में ही लोग आवागमन करने को मजबूर है।
गांव के वरिष्ठ नागरिक मोतीलाल चौधरी, कांतिलाल पांचाल, मनोहरसिंह डोडिया, सवाईसिंह झाला, दरबारसिंह परमार, शम्भू चौकीदार आदि ने बताया कि बरसों पुराना पहुंच मार्ग काफी जर्जर हो चुका है। इस मार्ग पर थोड़ी सी बारिश होते ही पानी कीचड़ से नदी व तालाब बन जाता है। खेत खलिहान जाने में बड़ी दिक्कत होती है। पँचायत सचिव तेज सिह सिसौदिया ने बताया कि करीब 20 वर्ष पूर्व नारेगा योजना में मुर्रम डाली गई थी।
अभी जिला पंचायत द्वारा नए खेत सडक़ मार्गो की अनुमति नहीं दी जा रही तथा वर्तमान पूर्व से कार्य योजना में मुक्ति धाम मार्ग का कार्य करवा रहे है। जैसे ही नई अनुमति प्राप्त होती है तो उक्त मार्ग को प्राथमिकता देंगे। दूसरा इस मार्ग जो परिवार रह रहे वे ग्राम आबादी में भी नही आ रहे। यह शासकीय व कुछ लोगों की निजी भूमि है।