उज्जैन, अग्निपथ। देवशयनी एकादशी के साथ ही अब चातुर्मास शुरू हो गए हैं। 29 जून 2023 देवशयनी एकादशी के साथ ही भगवान विष्णु का विश्राम प्रारंभ हो जाता है और सृष्टि के संचालन का भार महादेव पर रहेगा। चातुर्मास में सावन, भाद्रपद, आश्विन और कार्तिक, ये चार महीने रहते हैं, लेकिन इस बार अधिक मास होने से चातुर्मास चार नहीं, पांच महीनों का होगा।
2023 से 19 साल पहले 2004 में सावन में अधिक मास था। इस कारण सावन 58 दिन का रहेगा। देवशयनी एकादशी से देवउठनी एकादशी (23 नवंबर 2023) तक 148 दिन का त्यौहारी सीजन रहेगा, जिसमें 97 दिन व्रत-त्योहार मनाए जाएंगे।
सनातन धर्म में मान्यता है कि देवशयनी एकादशी से भगवान विष्णु विश्राम करते हैं। इस साल अधिक मास की वजह से भगवान विष्णु चार नहीं, बल्कि पांच महीने विश्राम करेंगे। 4 जुलाई 2023 से शिव पूजा का पवित्र महीना सावन शुरू होगा, जो कि 31 अगस्त तक रहेगा। 18 जुलाई से 16 अगस्त तक अधिक मास रहेगा। हिन्दी पंचांग के हर महीने में सूर्य संक्रांति रहती है यानी सूर्य राशि बदलता है, लेकिन अधिक मास में संक्रांति नहीं रहती है।
इस दौरान एक ही जगह पर ठहरकर भक्ति, तप और ध्यान आदि पुण्य कर्म करने की परंपरा है, इसी कारण चातुर्मास में यात्रा करने से संत बचते हैं। चातुर्मास बारिश का समय कहलाता है। इन दिनों नदी-नाले उफान पर रहते हैं, लगातार बारिश होती है। पुराने समय में बारिश की वजह से यात्रा के लिए साधन नहीं मिल पाते थे। इस कारण साधु-संत यात्रा नहीं करते थे और एक जगह ही रहते थे। अधिक मास को शुभ नहीं माना जाता था। इस कारण कोई भी देवता इस महीने का स्वामी नहीं बनना चाहता था। तब अधिक मास ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की। अधिक मास की प्रार्थना सुनकर विष्णु जी ने इस महीने को खुद का सर्वश्रेष्ठ नाम पुरुषोत्तम दिया। तब से इस माह को पुरुषोत्तम मास कहा जाने लगा।
मंत्र जाप-पूजन-धार्मिक अनुष्ठान के शुभ कर्म करने का उचित समय
इस महीने में भागवत कथा पढऩा-सुनना, मंत्र जप, पूजन, धार्मिक अनुष्ठान, दान आदि शुभ कर्म किए जाते हैं। इस बार सावन के दूसरे ही सोमवार पर सोमवती अमावस्या का शुभ संयोग बन रहा है। सातवें सोमवार को नागपंचमी और आखिरी सोमवार को प्रदोष व्रत रहेगा। इस साल भद्रा की वजह से राखी बांधने के लिए दिन में कोई मुहूर्त नहीं होगा। रात में 9 बजे ही रक्षाबंधन मनाया जा सकेगा। इस बार शरद पूर्णिमा (28 अक्टूबर) पर आंशिक चंद्र ग्रहण रहेगा, जो कि भारत में दिखेगा। दीपावली से पहले खरीदी के लिए 5 नवंबर को दुर्लभ रविपुष्य योग बन रहा है।