24 साल बाद उज्जैन विकास प्राधिकरण ने 100 करोड़ की जमीन पर जेसीबी चलाकर कब्जा लिया

हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने उज्जैन विकास प्राधिकरण के पक्ष में सुनाया फैसला

उज्जैन, अग्निपथ। चौबीस साल से सौ करोड़ रुपए की जमीन के लिए इंदौर हाईकोर्ट में लड़ रहे पर उज्जैन विकास प्राधिकरण को कब्जा हासिल करने में आखिर सफलता मिल गई। उसने शुक्रवार को बंसत विहार की जमीन पर जेसीबी चलाकर कब्जा ले लिया है। इस जमीन को लेकर हाईकोर्ट ने 15 दिन पूर्व यूडीए के पक्ष में फैसला सुनाया था। परन्तु इसकी जानकारी प्राधिकरण के अफसरों को नहीं लग पाई थी। शुक्रवार को खुलासा होने पर आनन-फानन में कब्जे के आदेश अध्यक्ष श्याम बंसल ने दिए और जमीन पर प्राधिकरण का बोर्ड चस्पा किया गया।

उज्जैन विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष श्याम बंसल ने बताया कि इंदौर हाईकोर्ट की खंडपीठ ने उज्जैन विकास प्राधिकरण के लीलाबाई और अन्य के प्रकरण में 1& सितंबर 2012 को सिंगल बेंच के फैसले को निरस्त कर दिया है। खंडपीठ ने उ”ौन प्राधिकरण के पक्ष में फैसला सुनाया। इसमें गोयलखुर्द की सर्वे क्रमांक 1&/2 रकबा 0.084 हैक्टेयर, सर्वे क्रमांक 15 रकबा 1.089 हैक्टेयर, सर्वे क्रमांक 16/2 रकबा 0.449 हैक्टेयर, सर्वे क्रमांक 17/& रकबा 0.021 हैक्टेयर, कुल रकबा 1.64& हैक्टेयर है। यह शासकीय अतिशेष घोषित भूमि है, जिसमें सर्वे क्रमांक 15,16/2,17/&, कुल रकबा 1.559 हैक्टेयर भूमि मप्र सरकार के द्वारा केंद्रीय कर्मचारी गृह निर्माण सहकारी संस्था मर्यादित उज्जैन को आवंटित की गई थी। जिसका अनुबंध उज्जैन विकास प्राधिकरण के मध्य & मई 1999 को हुआ था। संस्था द्वारा उज्जैन विकास प्राधिकरण को अनुबंध के मुताबिक जमीन दे दी गई थी। परन्तु हाई कोर्ट के समय-समय पर दिए गए स्थगन के चलते अतिक्रमण नहीं हटा था।

शुक्रवार को फैसले की जानकारी मिलते ही यूडीए के संपदा अधिकारी शरद वर्बे को निर्देश दिए कि जमीन पर कब्जा हासिल किया जाए। वहां बोर्ड लगाया जाए। साथ ही कहा गया कि जमीन पर से पक्का निर्माण को भी तत्काल ही हटाया जाए। अध्यक्ष के निर्देश पर सहायक यंत्री संजय साध, महेश गुप्ता, राजकरण त्रिपाठी, सुनील नागर, रमेश जाटवा मौके पर पहुंचे और जेसीबी से अतिक्रमण हटाया।

15 दिन पहले आया था फैसला

हाईकोर्ट की डबल बेंच ने प्राधिकरण के पक्ष में फैसला 16 जून 202३ को सुनाया था। 3 मई 1999 से चल रहे केस और 100 करोड़ की जमीन के मामले में प्राधिकरण के पक्ष में आने के बाद भी प्राधिकरण के वकील ने अध्यक्ष और सीईओ संदीप सोनी को इसकी जानकारी नहीं दी। पत्रकारों से चर्चा करते हुए अध्यक्ष बंसल ने कहा कि वकील से इस विषय में पूछा जाएगा कि फैसला प्राधिकरण के पक्ष में आने के बाद भी उन्हें और सीईओ को क्यों नहीं बताया गया।

अब हर केस की जानकारी एक दिन पहले रहेगी

अध्यक्ष बंसल ने कहा कि उन्हें प्राधिकरण अध्यक्ष का पद हासिल किए हुए अभी दो माह हुए हैं। यहां की व्यवस्था को ठीक करने की कोशिश में लगे हुए हैं। एक केस में इस तरह की गड़बड़ी सामने आई है। विभाग के सभी अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि प्राधिकरण के जितने भी केस कोर्ट में चल रहे हैं। उनकी सूची, वकीलों के नाम और उसका स्टेटस बनाकर रिपोर्ट तैयार करे। साथ ही प्रत्येक केस की तारीख के एक दिन पहले उन्हें केस की डिटेल देकर बताएं। ताकि कोर्ट में प्राधिकरण का मजबूती से पक्ष रखा जा सके। उन्होंने कहा कि प्राधिकरण को नुकसान पहुंचाने वाले किसी भी श स को ब शा नहीं जाएगा।

पक्के मकान को तत्काल तोड़ेंगे

हाईकोर्ट के फैसले की जानकारी मिलने के बाद अध्यक्ष बंसल के पास उस जमीन पर मकान बनाकर रहने वालों के मकान नहीं तोडऩे की सिफारिश आई थी। बंसल ने कहा कि हम कब्जा तत्काल लेंगे। जिस भी व्यक्ति का मकान बना है। वह अपना नाम तत्काल हटा ले। क्योंकि अगर जमीन पर कब्जा तत्काल नहीं लिया तो वह कोर्ट में चला जाएगा और फिर से यूडीए को जमीन हासिल करने के लिए सालों तक कोर्ट में केस लडऩा पड़ेगा।

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