शासकीय कार्य में बाधा प्रकरण: पटवारी की न सदस्यता जाएगी न चुनाव लडऩे पर रोक लगेगी

जीतू पटवारी को एक साल की सजा सुनाई है एमपी-एमएलए कोर्ट ने

उज्जैन, अग्निपथ। कांग्रेस नेता जीतू पटवारी और उज्जैन के कांग्रेस नेता सुरेंद्र मरमट को एमपीएमएलए कोर्ट ने शासकीय कार्य में बाधा के प्रकरण में एक -एक साल की सजा सुनाई है। परन्तु दोनों को जमानत पर छोड़ दिया गया है। पटवारी की विधानसभा की सदस्यता इस सजा से नहीं जाएगी। न ही उनके चुनाव लडऩे पर रोक लगेगी।

यह जानकारी देते हुए वरिष्ठ वकील प्रताप मेहता ने बताया कि अगर दो साल की सजा होती तो उनके चुनाव लडऩे पर रोक लग सकती थी। परन्तु एक साल की सजा में चुनाव लडऩे पर रोक का प्रावधान नहीं है। न ही उनकी विधानसभा की सदस्यता जाएगी। उज्जैन में शासकीय कार्य में बाधा के प्रकरण में पूर्व सांसद प्रेमचंद गुड्डू और भाजपा नेता सतीश मालवीय को भी सजा हो चुकी है। ये सजा के बाद अपील में बरी हो गए थे। दोनों नेताओं को उज्जैन के न्यायिक दंडाधिकारी की कोर्ट ने सजा सुनाई थी।

वहीं कांग्रेस नेता सुरेंद्र मरमट का कहना है कि भाजपा सरकार ने किसानों के आंदोलन के मामले में उनके खिलाफ केस दर्ज कराया था। कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं और आगे कोर्ट में अपील की जाएगी। भाजपा सरकार के खिलाफ किसानों के हित में लड़ाई जारी रहेगी। चुनाव के समय इस तरह के मामले में कांग्रेस नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करने की भाजपा की पुरानी परंपरा है। ताकि नेताओं का मनोबल कम हो। परन्तु हम लोग लगातार आंदोलन करते रहेंगे। इससे किसानों को लाभ मिल सके।

यह है मामला

14 साल पहले राजगढ़ में किसान कर्ज माफी और मुआवजे को लेकर आंदोलन के दौरान लाठीचार्ज और तोडफ़ोड़ हुई थी। मामले में जीतू पटवारी समेत 17 लोगों के खिलाफ केस दर्ज हुआ था। इन पर आईपीसी की धारा 148,353, 332, 323, 506(2) 336,427 लगाई गई थी। शनिवार को जीतू पटवारी और उज्जैन कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष सुरेंद्र मरमट को कोर्ट ने एक साल की सजा और 10-10 हजार रुपए जुर्माना लगाया है। इन्हें डैमेज टू पब्लिक प्रॉपर्टी एक्ट 1984 के तहत भी एक-एक साल की सजा सुनाई गई है।

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