इंदौर, अग्निपथ। किडनी की बीमारी से जूझ रहे मरीजों और उनके परिवारवालों के लिए राहत की खबर है। अब इंदौर में पहली बार सरकारी अस्पताल में भी किडनी का ट्रांसप्लांट हो सकेगा। सरकारी सुपर स्पेशिलिटी हॉस्पिटल में इसी महीने के आखिरी से किडनी ट्रांसप्लांट शुरू हो जाएंगे। इससे पहले यह सुविधा मध्य प्रदेश में सिर्फ हमीदिया अस्पताल भोपाल और अन्य प्राइवेट अस्पतालों में ही उपलब्ध थी।
आयुष्मान कार्ड वालों का पूरा इलाज फ्री में होगा जबकि अन्य लोगों का ट्रांसप्लाट तीन लाख रुपए से भी कम में हो जाएगा। वर्तमान में प्राइवेट अस्पतालों में इसका चार्ज साढ़े छह लाख से साढ़े आठ लाख रुपए तक है। अभी कई परिवारों के पहले से रजिस्ट्रेशन हैं जिनके पास खुद की किडनी डोनेट के लिए नहीं है। जिनके पास डोनेटर है, वह रजिस्ट्रेशन कराता है और सभी जांचें पॉजिटिव आईं तो एक महीने में किडनी ट्रांसप्लांट हो जाएगा। सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल अगस्त 2021 में शुरू हुआ था। कोरोना के कारण इस प्रोजेक्ट में देरी होती चली गई।
महात्मा गांधी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज इंदौर के डीन डॉ. संजय दीक्षित ने बताया जून में अस्पताल में किडनी ट्रांसप्लांट की अनुमति दी गई। पूरी कोशिश है कि इस माह के अंत तक पहला किडनी ट्रांसप्लांट हो जाए। हॉस्पिटल में इससे संबंधित पूरा इंफ्रास्ट्रक्चर और सारी सुविधाएं उपलब्ध हैं। नियमों के तहत किडनी मरीजों का रजिस्ट्रेशन किया जाएगा।
सर्जरी के लिए मरीजों की काउंसलिंग भी चल रही है। किडनी मरीजों की काउंसलिंग करने के साथ उनकी सारी जांचें कराई जा रही है। स्थितियां अनुकूल होने पर इस माह के अंत तक किडनी ट्रांसप्लांट की शुरुआत हो जाएगी। अगर मरीज संबंधी या अन्य कोई इश्यु होता है तो फिर अगस्त में ट्रांसप्लांट शुरू होगा।
हॉस्पिटल में किडनी ट्रांसप्लांट यूनिट पूरी तरह से तैयार है। यूनिट को डायलिसिस वाटर प्युरीफायर से लेकर हायजेनिक के सारे पैरामीटर्स का पूरा ध्यान रखा गया है। हॉस्पिटल सुपरिटेंडेंट डॉ. सुमित शुक्ला ने बताया कि किडनी ट्रांसप्लांट में तीन यूनिट्स के डॉक्टरों (खासकर सर्जन्स) की अहम भूमिका रहती है। इसमें एक नेफ्रोलॉजी, दूसरा यूरोलॉजी और तीसरा इंटेंसिव केयर यूनिट हैं। इनमें नेफ्रोलॉजी के हेड ऑफ द डिपार्टमेंट डॉ. रितेश कुमार हैं। उनकी टीम में डॉ. ईशा तिवारी और पद्ममिनी सरकानूनगो शामिल हैं। यूरो सर्जन्स डॉ. अर्पण चौधरी, डॉ. विशाल कीर्ति जैन, डॉ. मानस शर्मा व डॉ. दीप जैन हैं। इसी प्रकार इंटेंसिव केयर यूनिट में सारे पोस्ट एमजी अनुभवी डॉक्टर हैं। सभी अनुभवी सर्जन्स पूर्व में बड़े और निजी अस्पतालों में किडनी ट्रांसप्लांट कर चुके हैं।
शहर में बीते सालों में 50 से ज्यादा ग्रीन कॉरिडोर बने हैं जिनमें 50 ब्रेन डेड लोगों की 79 किडनियां मरीजों को ट्रासप्लांट की गई। इसमें इंदौर, भोपाल सहित अन्य शहरों के वे मरीज हैं जो सालों से किडनी मिलने के इंतजार में थे। इन लोगों को किडनी मिलने से नया जीवन मिला है।
एक ओर जहां केडेबर डोनर के तहत एसओटीओ की वेटिंग के लिहाज से किडनी ट्रांसप्लांट होने की प्रोसेस है वहीं लाइव डोनर (परिवार के व्यक्ति या रिश्तेदार की जिनका ब्लड ग्रुप सहित सारे पैरामीटर्स मैच हो) की ट्रांसप्लांट की प्रोसेस को अब अधिकतम एक माह का समय लगता है। इसके लिए मरीज व लाइव डोनर की सारी जांचें होती हैं।
इसके बाद सब मैच होने पर संबंधित प्राइवेट हॉस्पिटल द्वारा सोटो को अनुमति के लिए पत्र के साथ मरीज की हिस्ट्री व डोनर की सहमति सहित सारे दस्तावेज भेजकर अनुमति के लिए लिखा जाता है। वहां से एक माह में ही अनुमति मिल जाती है। अनुमति के तुरंत बाद ट्रांसप्लांट की प्रोसेस शुरू हो जाती है। इंदौर में सीएचएल, शैल्बी, चोइथराम, बॉम्बे हॉस्पिटल आदि में किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधाएं हैं।