उज्जैन, अग्निपथ। कृषि उपज मंडी से जुड़े लोगों से सरकार ने मंडी अधिनियम 1972 में सुझाव मांगे हैं। परन्तु न तो अफसरों को पता है और न ही वे सुझाव देने वालों को कुछ बता पा रहे हैं। केवल एक पत्र देकर उनसे कहा जा रहा है कि मंडी अधिनियम में सुधार किया जा रहा है। अपने सुझाव दें। न तो लोगों को ड्राफ्ट दिया गया है और न ही इसकी जानकारी उपलब्ध कराई जा रही है। इससे लोग अनजान हैं। 13 दिन का समय बचा हुआ है सुझाव देने का।
बताया जाता है कि मंडी अधिनियम क्या है और उसमें क्या सुझाव दिया जाना चाहिए। इसके लिए ह माल, किसान और व्यापारी को मंडी अधिनियम का अध्ययन करना होगा। इसके बाद उसे जो भी गलत अधिनियम लगता है इस पर आपत्ति लेते हुए सुझाव देना होगा। यानी अगर वह मंडी अधिनियम 1972 को पढ़ेगा नहीं तो किसान कोई सुझाव नहीं दे पाएगा। उसकी समस्या जैसी है वैसी ही रहने वाली है। अफसरों ने संशोधन अपने हिसाब से करके किसान और मंडी से जुड़े हर वर्ग को नजर अंदाज करने की योजना बनाई है। उसी पर अमल करने में लगा हुआ है।
नेताओं को भी नहीं पता अधिनियम के बारे में
मजेदार बात यह है कि अधिनियम को लेकर कहा जा रहा है कि जनप्रतिनिधि को भी संशोधन के संबंध में सुधार के लिए सुझाव देना है। परन्तु गड़बड़ी को दूर करने के लिए किस तरह से सुझाव दिया जाना है। इसकी जानकारी उसे भी नहीं है। वह भी किसी विशेषज्ञ की सहायता लेगा और उसके बाद फैसला करेगा।
लीज रेंट को फ्री होल्ड किया जाए
अनाज तिलहन संघ के सचिव अनिल गर्ग का कहना है कि सरकार व्यापारियों के सुझाव मानेगी, इसमें हमें संशय है। फिर भी हमने संगठन की तरफ से लीड रेंड जो अभी बंद कर रखा है। उसे फिर से शुरू करवाकर रजिस्ट्री कराए जाने का सुझाव देते हुए कहा है कि मंडी बोर्ड लीज को फ्री होल्ड कर दें। जिस तरह से विकास प्राधिकरण अपनी संपत्तियों को फ्री होल्ड कर रहा है। उसी तरह से मंडी बोर्ड भी फ्री होल्ड कर दें। एक बार में पैसा लेकर व्यापारियों को संपत्ति का मालिकाना हक दे दे। इससे व्यापारियों को बार -बार मंडी बोर्ड के अफसरों के चक्कर लगाने से निजात मिल जाएगी।
मेल करें या सचिव को सुझाव दे सकते हैं
मंडी बोर्ड ने निर्देश दिए हैं कि मंडी अधिनियम 1972 में संशोधन किया जा रहा है। इसके लिए सुझाव को मंडी बोर्ड के इमेलmpmandiact 1972. amendment @ gmail.com पर भेज सकते हैं या मंडी सचिव या बोर्ड के आफिस में भी सीधे सुझाव जमा कराए जा सकते हैं।
20 से ज्यादा बदलाव करेगी सरकार
बताया जाता है कि मंडी अधिनियम 1972 में 20 से ज्यादा बदलाव प्रस्तावित किए गए हैं। इसमें मंडी समितियिों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाना, मंडी फीस डेढ़ रुपए से कम को यथावत रखा जाएगा। नीलामी की प्रक्रिया समर्थन मूल्य से कम पर नहीं किए जाने का प्रस्ताव, किसान और विक्रेता की तरफ से आढ़तियों की प्रथा का समाप्त करना, संविदा खेती के प्रावधान संशोधित करना, एकल लाइसेंस प्रणाली को शामिल करना, फूल मंडी की स्थापना आदि संशोधन शामिल हैं।