वर्षायोग कलश स्थापना कार्यक्रम विविध आयोजनों के साथ संपन्न
उज्जैन, अग्निपथ। श्री आदिनाथ दिगंबर जैन मंदिर ऋषिनगर प्रांगण में श्रमणाचार्य श्री विशुद्धसागरजी महाराज के मंगल शुभाशीष से उन्हीं के सुयोग्य शिष्य उपनयन संस्कार प्रणेता, प्राचीन जिन तीर्थ जीर्णोद्धारक विशुध्दरत्न श्रमण श्री सुप्रभसागरजी एवं मुनिश्री प्रणतसागरजी महाराज ससंघ का महाज्ञान कुंभ वर्षायोग समारोह विविध धार्मिक एवं सांस्कृतिक आयोजनों के साथ संपन्न हुआ।
मीडिया प्रभारी प्रदीप झांझरी ने बताया कि आयोजन के प्रारंभ में अर्चना सिंघई लक्ष्मीनगर ने मंगलाचरण किया। गुरूवर का चित्र अनावरण एवं दीप प्रज्जवलन का सौभाग्य बाहर से आये अतिथियों के साथ ऋषिनगर मंदिर समिति ने प्राप्त किया। पश्चात आचार्य श्री विशुध्दसागर महाराज की पूजन करते हुए श्रावकगण गुरूभक्ति में लीन हुए।
डॉ. खुश्बू पांचाल समूह ने कत्थक नृत्य के माध्यम से अनूठी भक्ति प्रस्तुत की। मुनिश्री सुप्रभसागरजी के पाद प्रक्षालन का सौभाग्य सौगानी परिवार ने प्राप्त किया। मुनि श्री प्रणतसागरजी एवं मुनि प्रभातचंद्र महाराज के पाद प्रक्षालन भरतकुमार जैन परासिया व सौगानी परिवार को प्राप्त हुआ। जिनवाणी भेंट करने एवं कार्यक्रम के ध्वजारोहण जैन ट्रांसपोर्ट परिवार ने प्राप्त करके वर्षायोग को सफल करने की भावना प्रकट की।
इस अवसर पर मुनिश्री सुप्रभसागर महाराज ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि अवसर का सदुपयोग करते हुए जो जीवन के कल्याण का मार्ग प्राप्त करता है वही वास्तविकता ज्ञानी है। 27 नक्षत्र में से यदि 10 मूल नक्षत्र निकल जाएं कुछ भी शेष नहीं रहता क्योंकि ऐसा कहा भी जाता है कि आषाड़ का चुका किसान और डाल का चूका बंदर जीवन भर नहीं संभल पाता।
मुनिश्री ने कहा कि वर्षायोग दो शब्दों से मिलकर बना है जिसमें चार श्रावक और साधु स्थान पर ठहरकर साधना करते हें। वर्षायोग मात्र साधु के लिए नहीं है अपितु श्रावक भी साधु की संगति को प्राप्त करके जीवन को व्यवस्थित करने का पुरूषार्थ करता है।
वर्षायोग के मुख्य कलश को स्थापन करने का सौभाग्य शशि शांतिकुमार, सौरभ कृतिका, दर्शित कासलीवाल परिवार ने प्राप्त किया। वाचना कलश प्रमोद कुमार जैन अध्यक्ष ऋषिनगर एवं विमल सिध्दि कलश शिखरचंद जैन, विशुद्ध ज्ञान कलश डॉ. विवेक जैन एवं सुतत्व आराधना कलश सरदारमल जैन चंद्रावती ने प्राप्त किया।
आज गुरूपूर्णिमा पर्व मुनिश्री के सानिध्य में अत्यंत भक्तिभाव एवं श्रध्दा उत्साह के साथ मनाया जाएगा। जिसमें प्रात: 7.30 बजे गुरू पूजा विनयांजलि, गुरू गुणगान के साथ ही मुनि के जीवन से संबंधित एक आप एवं एक अध्यात्मिक भजन का भी लोकार्पण किया जाएगा। इस समारोह में स्थानीय श्रावकों के अलावा उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश के विभिन्न शहरों से श्रावक उपस्थित रहे।