शिप्रा तट पर पहुंचे बाबा महाकाल का अभिषेक-पूजन किया गया। फोटो- शकील गुट्टी
जगह-जगह बेरिकेडिंग के बावजूद दर्शन के लिए उमड़ी भारी भीड़, रामघाट पर भी धक्का-मुक्की
उज्जैन, अग्निपथ। तमाम प्रतिबंधों के बाद भी श्री महाकालेश्वर की सवारी में भजन मंडली, झांकी, मुखौटे सभी कुछ शामिल हुए। फलस्वरूप सवारी निर्धारित स्वरूप से लंबी हो गई और इस कारण सवारी एक घंटे से अधिक देरी से मंदिर लौट सकी।
प्रशासन ने सवारी व्यवस्था की मीटिंग में तय किया था कि सवारी में सिर्फ निर्धारित भजन मंडली को ही शामिल होने की अनुमति दी जायेगी। यह भजन मंडलियां डीजे, भगवान के मुखौटे या झांकी बगैरह लेकर शामिल नहीं होगे। लेकिन सोमवार को निकली सवारी में एक दर्जन से अधिक भजन मंडलियां नजर आई। इनमें से अधिकतर के साथ झांकी, तेज आवाज में बजते लाउड स्पीकर, मुखौटे आदि शामिल थे। ऐसे में सवारी भी लंबी हो गई। लौटते वक्त पहली भजन मंडली महाकाल मंदिर के गेट पर थी तो भगवान महाकाल की पालकी गोपाल मंदिर पर थी।
राजाधिराज के दर्शन के लिए उमड़ी भारी भीड़
पूरे सवारी मार्ग की बेरिकेडिंग करने के बाद भी प्रशासन आमजनों को सवारी देखने आने से नहीं रोक सका। पूरे सवारी मार्ग पर जबर्दस्त भीड़ थी। शिप्रा किनारे तो नजारा देखने लायक था। लोग नदी के उस पार के अलावा दूर-दूर से राजाधिराज को निहारने में लगे थे। शिप्रा किनारे चारों ओर लोगों का हुजूम नजर आ रहा था।
कई जगह वीआईपी के बीच धक्का-मुक्की
महाकाल भगवान की सवारी रवाना होने के साथ ही पालकी के साथ चल रहे वीआईपी के बीच धक्का मुक्की की स्थिति रही। सभा मंडप में अधिकारी-जनप्रतिनिधि और इनके परिवारजनों के अलावा पंडे-पुजारी और राजनीतिक दलों के पदाधिकारी मौजूद थे। इसी तरह रामघाट पर भी पाली पूजन स्थल पर जाने के लिए वीआईपी में धक्कामुक्की हुई। आम जनता शांति से दूरदराज के इलाकों में बैठी रही।
मंदिर के गेट पर खतरनाक स्थिति
मंदिर से सवारी बाहर निकालने वाले मार्ग पर सीढिय़ों के नजदीक अधूरे निर्माण कार्य के ऊपर कई आम दर्शनार्थी खतरनाक स्थिति मेें खड़े थे। यहां रैलिंग आदि नहीं थी, लेकिन काफी संख्या में लोग मौजूद थे। यह स्थिति हादसे का कारण बन सकती है।