नंदी हाल में खड़े वीआईपी से दर्शनार्थियों को परेशानी
उज्जैन, अग्निपथ। श्री महाकालेश्वर मंदिर में खास के कारण आम श्रद्धालुओं को दर्शन करने में दिक्कत आ रही है। नंदीहाल में दर्शन के दौरान श्रद्धालु खड़े रहते हैं। पीछे गणपति मंडपम की रैलिंग से दर्शन कर रहे श्रद्धालुओं को भगवान महाकाल के दर्शन नहीं हो पा रहे हैं। श्रद्धालु भगवान महाकाल की एक झलक देखे, उससे पहले ही लाइन में उसे आगे की ओर बढ़ा दिया जाता है।
महाकालेश्वर मंदिर में प्रतिदिन नंदीहाल में बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन को आ रहे हैं। श्रद्धालु नंदी के पीछे खड़े हो जाते हैं और बैठते नहीं हैं। जिसके चलते गणपति मंडपम की रैलिंग से दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं को भगवान महाकाल के दर्शन नहीं हो पाते हैं। लाइन जल्दी-जल्दी चलाए जाने के कारण श्रद्धालुओं को भगवान महाकाल की जो एक झलक देखने को मिलती है। वह भी नहीं मिल पाती। श्रद्धालु परेशान होकर पंडे पुजारियों की शरण में पहुंचते हैं। फिर उनको नंदीहाल से दर्शन कराया जाकर उनकी आस्था की पूर्ति की जाती है।
सुरक्षाकर्मी भी कब तक रोकें
नगाड़ा गेट से नंदीहाल में जो भी श्रद्धालु प्रवेश करता है। वह खड़े होकर ही दर्शन करता है। उसको वहां पर मौजूद सुरक्षाकर्मी बैठाता है। लेकिन फिर से श्रद्धालु बाद में खड़े होकर पीछे के आम श्रद्धालुओं के दर्शन को बाधित करता है। चार सुरक्षाकर्मी होने के बावजूद भी ऐसी स्थिति बनी रहती है। सुरक्षाकर्मी भी ज्यादा जोर नहीं देते क्योंकि नंदीहाल में दर्शन करने आने वाले वीआईपी होते हैं और जिनका दबाव प्रभाव रहता है। मंदिर समिति को यहां पर अतिरिक्त कर्मचारियों को लगाया जाना चाहिए। तभी व्यवस्था में सुधार हो सकता है।
आधा मिनट मिलता है झलक पाने को
गणपति मंडपम की रैलिंग से दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं को केवल आधा मिनट का समय भगवान की एक झलक पाने के लिए मिलता है। इस दौरान यदि कोई नंदीहाल में सामने खड़ा हो होता है तो वह श्रद्धालु बिना भगवान महाकाल के दर्शन के लाइन से बाहर हो जाता है। ऐसी स्थिति में उसकी आस्था प्रभावित होती है। वह दर्शन करने के चक्कर में आर्थिक दोहन का शिकार भी हो जाता है।
पंडे-पुजारी गर्भगृह के नजदीक ले जाने का करते हैं प्रयास
कलेक्टर और मंदिर समिति अध्यक्ष ने गर्भगृह की दहलीज से किसी भी श्रद्धालु के दर्शन प्रवेश को प्रतिबंधित किया हुआ है। श्रद्धालु नंदीहाल में बैठकर अचानक गर्भगृह की दहलीज तक पहुंच जाते हैं। पंडे पुजारी भी अपने यजमानों को गर्भगृह की दहलीज तक पहुंचाने की जद्दोजहद करते रहते हैं और कई इनको पहुंचा भी देते हैं। हालांकि नंदीहाल निरीक्षक और गर्भगृह निरीक्षक द्वारा इनको नियंत्रित भी किया जाता है। लेकिन इनके द्वारा जबरन प्रवेश कर व्यवस्था को भंग करने का प्रयास किया जाता है। इनको रोकने के लिए मंदिर समिति के कर्मचारियों की तैनाती आवश्यक है।