सोमवार को लंबे अरसे बाद विपक्ष दिखाई दिया। मौका था किसान कानून के विरोध में कांग्रेस की किसान रैली। किसानों के साथ यह रैली कांग्रेस ने ट्रैक्टर पर निकाली थी। रैली इतनी लंबी थी कि एक सिरा फ्रीगंज ओवरब्रिज होकर तीन बत्ती चौराहा पार कर चुका था तो आखिरी सिरा चिमनगंज मंडी में ही था।
इस दौरान शहर की पूरी यातायात व्यवस्था चरमरा गई, लेकिन किसी नागरिक ने नाराजगी जाहिर नहीं की। बल्कि हर चेहरे पर विपक्ष की मौजूदगी देख संतुष्टि के भाव दिखे। लंबे समय से स्थिति यह थी कि सरकार के मन की हो रही थी। गलत मुद्दों का विरोध करने वाला विपक्ष लगभग नदारद था।
कुछ कार्यक्रम या आंदोलन हो भी रहे थे तो वो भी सिर्फ औपचारिक। इन हालातों को देख कई लोग तो यह टिप्पणी भी करने लगे थे कि विपक्ष सरकार की गोद में बैठ गया। इसका दुष्परिणाम प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने कई चुनावों में भोगा भी है। आपसी फूट से परे होकर सोमवार को कांग्रेस नेताओं ने सडक़ों पर उतरकर अपना प्रभाव एकबार फिर दिखा दिया। ट्रैक्टर पर सवार होकर जब विपक्ष (कांग्रेस) सडक़ों पर उतरा तो लोगों ने उनका मौन स्वागत किया, जिसे कांग्रेस के भविष्य के लिए बेहतर संकेत कहा जा सकता है।