मुस्लिम महिलाओं के जुलूस जलसे में जाने पर पाबंदी

बडऩगर में शहर काजी ने किया ऐलान

बडऩगर, (अजय राठौड़) अग्निपथ। नारी लज्जा है, नारी इज्जत है, नारी सम्मान है। नारी को हमेशा सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। एक समय था जब देश में नारी चुल्हे चौके तक ही सीमित थी। मान, मर्यादा, लाज में रहकर भारतीय परिवेश में नारी जुलस, जलसो, सार्वजनिक कार्यक्रमों में सादगी सलीके के साथ भाग लेती थी। तब नारी को घर की लक्ष्मी कहा जाता था। किन्तु समय बदलने के साथ नारी सशक्तिकरण के युग में आधुनिक चकाचौंध व खुलेपन का असर नारी पर भी होने लगा।

फिर चाहे नारी के रूप में मां , बहन हो या बेटी। विचारो के खुलेपन की बजाय अपने अंगो के खुलेपन का प्रदर्शन सार्वजनिक करने लगी। जिसमें फिल्म इन्डस्ट्री ने आग में घी का काम किया। ऐसे में फिल्म हीरोईन के खुलेपन को महिलाओं द्वारा आदर्श माना जाने लगा और अब ये आलम है कि नये जमाने की दुहाई देकर सार्वजनिक स्थानो पर जुलस जलसो में बहुतायत में खुलापन दिखाया जा रहा है। जो दिनो दिन बढ़ता ही जा रहा है। जिससे आऐ दिन अपराध घटित हो रहे है। ऐसे में कई घरो में घर की महिलाओं को मान, मर्यादा, लज्जा का पाठ पढ़ाया जा रहा है। ताकि नारी का सम्मान बचा रहे। इसके उदाहरण भी देखने में आ रहे है।

ऐसा ही एक उदाहरण बडऩगर जिला उज्जैन में मुस्लिम समाज की ओर से सामने आया है जिसमें वर्तमान में दूषित दौर के चलते चिंता जाहिर कर नारी के सम्मान को बचाने के लिऐे महिलाओं के बाजारों में जुलुस जलसो में जाने पर पाबंदी लगाई है।

मां, बहनें, बीवियां हमारे घरों की इज्जत

इस बारे में शहर काजी नासिरउद्दीन सा ने लिखित में ऐलान जारी किया है। जिसमें कहा गया कि हमारी बहनें हमारे सिर का ताज़, हमारी बीवियां हमारे घरों की जीनत है। लिहाजा आप सभी हजरात से गुज़ारिश है कि अपनी माँ बहनों को घरों में रहकर इबादत करने की ताकीद करें। ऐलान में यह भी कहा गया कि आप सभी से अज़ीज़ाना गुज़ारिश है की मोहर्रम और तमाम मुस्लिम जलसों में हमारी मुस्लिम माँ बहनों के बाजारों में व जुलूसों में आने के लिए इस साल से हमेशा के लिए पाबंदी लगाई जाती है। क्योंकि हमारी माँ बहने बीवियां हमारे घरों की इज्जत है।

वक्त की नजाकत को समझे

सोशल मिडिया के माध्यम से यह ऐलान जब पत्र प्रतिनिधि के हाथों में आया तब प्रतिनिधि द्वारा पूछे जाने पर काजी सा ने ऐलान को सही बताया और चिंता जाहिर करते हुए कहा कि वक्त की नजाकत को देखते हुए मां, बहन, पत्नी का बाजार व जलसों में जाना आज के दौर के हिसाब से सही नही है। ना ही शरियार्ई ऐतबार से सही है। समाज में विचार विमर्श के बाद ही यह ऐलान जारी किया है।

बदसलूकी न की जाए

मुस्लिम महिलाओं के बाजार व जुलस – जलसे में जाने की पाबंदी का ऐलान काजी सा ने किया है। वहीं ऐलान में यह भी कहा गया कि अगर कोई हमारी माँ बहने बाजार में आती है। तो उनसे किसी तरह की बदसलूकी न करे। उन्हे समझाईश देकर घर जाने का बोले।

खर्चीली शादी व बेण्ड बाजे पर पहले से है पाबंदी

काजी नासीउद्दीन सा द्वारा पूर्व में भी खर्चीली शादी व बेण्ड बाजे , डीजे पर भी पाबंदी लगा रखी है जिसमें बेण्ड बाजे डिजे से जुलुस निकालने की मनाही है। यदि ऐसा कोई करता है तो काजी सा वहां निकाह पढ़ाने नही जायेंगे।

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