कोल की हुई वापसी, राजा गये ताल
बडऩगर, अग्निपथ। शासकीय विभागों में अधिकारी कर्मचारीगण के स्थानांतरण एक शासकीय प्रक्रिया के तहत होते है जिसमे आदेशानुसार अधिकारी-कर्मचारीगण को संबंधित स्थान पर जाना होता है। किन्तु इन स्थानांतरण में से कुछ स्थानांतरणो में स्थानीय-बाहरी जन प्रतिनिधियों की रजामंदी भी नजर आती है। जिनमें निकाय में पदासीन जनप्रतिनिधिगण की रजामंदी होना जरूरी दिखाई पड़ता है।
ऐसा ही घटनाक्रम नपा में देखने को मिला जिसमें एक पदासीन मुख्य नपा अधिकारी को बडऩगर से ताल जाना पड़ा वहीं दूसरे मुख्य नपा अधिकारी को रायसेन से वापस बडऩगर आना पड़ा। डेढ़ माह के अंदर हुए इस रद्दोबदल में नपा अध्यक्ष अभय टोंग्या के पावर को लेकर जहां परिषद गलियारे में चर्चा है वहीं राजनीतिक गलियारे में भी चर्चा जोरों पर है।
ज्ञातव्य है कि मुख्य नपा अधिकारी संदेश शर्मा की सेवानिवृत्ति पश्चात मुनपा अधिकारी के रूप में कमला कोल की पदस्थापना के आदेश दिसम्बर 2022 में सामने आऐ थे। जिसके बाद ऊहापोह की स्थिति में कमला कोल ने पदभार ग्रहण किया था।
मुनपा अधिकारी कोल व परिषद के बीच समन्वय के चलते नपा के विकास की गाड़ी पटरी पर दौडऩे लगी थी की 16 जुन का आदेश लेकर प्रभारी मुनपा अधिकारी राजा यादव ने उज्जैन मुख्यालय से ही चार्ज लेकर सबको चौका दिया था। जो शायद अध्यक्ष को नागवार गुजरा और कोल के रायसेन हूऐ स्थानांतरण को निरस्त करवाने के लिऐ भोपाल का रूख कर बैठे थे।
करीब डेढ़ माह बाद मुनपा अधिकारी कोल का स्थानांतरण पून: बडऩगर किये जाने के आदेश 1 अगस्त को सामने आऐ व कोल ने 2 अगस्त को पदभार ग्रहण कर लिया है। इस प्रकार बडऩगर में पुन: कोल की वापसी को अध्यक्ष अभय टोंग्या का पावर माना जा रहा है।