जावरा, अग्निपथ। सरकार द्वारा ग्रामीण लोगों को विकास की मुख्यधारा से जोडऩे एवं ग्राम विकास के साथ आवागमन की सुविधा देने सडक़ों का निर्माण कराती है। लेकिन अधिकतर ग्रामीण सडक़ों में भ्रष्टाचार, गुणवत्ताहीन का रोग लग जाता है। जिससे वर्षों की मांग के बाद बनी सडक़ चंद महीनों में ही उखड़ जाती है। साथ ही ग्रामवासियों को फिर से वर्षों खराब सडक़ से उत्पन्न परेशानियों को झेलने मजबूर होना पड़ता है।
इसकी बानगी के रूप में कुछ महीने पहले क्षेत्र में बनी मावता से बेहपुर पहुंच मार्ग को देखा जा सकता है। करोड़ों रुपए की लागत से बने 3.80 किलोमीटर मार्ग की हालात चंद महीनों में ही बिगड़ गई। है। क्षेत्र में रहने वाले लोगों की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए जनप्रतिनिधियों द्वारा इस रोड की स्वीकृति कराई लेकिन ठेकेदार द्वारा इस रोड निर्माण में अनियमितताओं की झड़ी लगा दी।
लोगों का आरोप है अर्थवर्क के काम में उचित गुणवत्ता की मिट्टी का उपयोग नहीं किया गया। साथ ही इस मिट्टी के ऊपर पानी डालकर दबाया भी नहीं और ऊपर से गिट्टी फैला दी गई। गिट्टी की परत भी इतनी पतली फैलाई गई कि पैर रखने से ही गिट्टी मिट्टी में घुस जाए। इसी के ऊपर से डामरीकरण कर दिया गया।
जिसका नतीजा यह हो रहा है कि निर्माण के कुछ ही समय पश्चात डामर उखडऩे लगी है। जिसकी जानकारी सोशल मीडिया एवं खबरों के माध्यम से अधिकारियों को दी जाती रही है। फिर भी अधिकारियों द्वारा इस ओर कोई ध्यान न देना आपसी मिलीभगत, भ्रष्टाचार का संकेत करता है।
संबंधित विभाग के कर्मचारी ने नाम नहीं छापने की शर्त बताया कि इस रोड में डामर के नीचे का जो बेस बनाया गया है वह सही तरीके से नहीं बनाया गया। बराबर डेंसिटी में नहीं बनाया व उसका का मिट्टी का कॉम्पेक्शन सही बराबर तरीके से नहीं किया जिस कारण से रोड़ उखड़ रहा है। ग्रामीण प्रभुलाल कुमावत ने बताया की यह रोड कुछ समय पहले ही बना लेकिन उखड़ गया मैं स्कूल की बस लेकर जाता तो काफ़ी समस्या होती। अभी से यह हाल है तो आगे क्या होगा।