विरोध के बाद विश्वविद्यालय ने बदला, वेबसाइट पर अभी भी मौजूद
उज्जैन, अग्निपथ। समाचार पत्रों की सुर्खियों में बना रहना वाला विक्रम विश्वविद्यालय अपने कृत्यों के कारण चर्चाओं में रहता ही है। अभी फर्जी पीएचडी कांड को नगर और प्रदेशवासी भूल भी नहीं पाये हैं कि एक ओर मामला सामने आ गया है। संस्कृत, ज्योतिर्विज्ञान एवं वैद्य अध्ययन शाला में अध्यनरत छात्र-छात्राओं ने एमए विज्ञान के चतुर्थ सेमेस्टर पाठ्यक्रम के कुछ अंशों के अश्लील होने का आरोप लगाया है।
विक्रम विश्वविद्यालय के कुलसचिव को लिखे एक पत्र में विद्यार्थियों ने शिकायत की है कि ज्योतिर्विज्ञान के चतुर्थ सेमेस्टर के चौथे पेपर के पाठ्यक्रम में बहुत ही अश्लील विषयों का समावेश किया गया है।
शिकायती पत्र में अश्लील सामग्री का हवाला देते हुए बताया गया कि चौथे पेपर गुणलक्षण ज्योतिष की इकाई-5 में पुरुष स्त्री समायोगाध्याय जैसे विषय पाठ्यक्रम निर्माण करने वाले विद्वानों ने रखा है। इसके अलावा पुरुष लक्ष्णाध्याय और स्त्री लक्ष्णाध्याय जैसे विषयों में भी अश्लील बातों का वर्णन है।
छात्र-छात्राओं ने कुलसचिव को लिखे पत्र में बताया कि इस इकाई की विषय वस्तु अत्यंत अश्लील और अप्रासंगिक होने के कारण कक्षा में प्रध्यापकों द्वारा पढ़ाते समय छात्र-छात्राओं की स्थिति बहुत ही असहज हो जाती है। शिक्षक भी संकोचवश ऐसी सामग्री को सरसरी तौर पर ही पढ़ाते हैं। विद्यार्थियों की शिकायत पर तात्कालीन ज्योतिर्विज्ञान अध्ययनशाला के विभागाध्यक्ष ने भी एक पत्र श्री शीतांशु रथ अध्यक्ष, संस्कृत अध्ययन बोर्ड विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन को लिखकर पाठ्यक्रम में शामिल अत्यंत अश्लील एवं अप्रासंगिक सामग्री को तत्काल हटाए जाने का निवेदन किया था।
अप्रैल 2023 को लिखे पत्र के कारण पाठ्यक्रम में परिवर्तन तो किया गया परंतु विक्रम विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर नये के साथ पुराना पाठ्यक्रम मौजूद है। मतलब ज्योतिर्विज्ञान के चतुर्थ सेमेस्टर के चतुर्थ पेपर के लिये दो पाठ्यक्रम मौजूद है। हद तो तब हो गयी जब नया पाठ्यक्रम बनने के बाद भी हाल में हुयी चतुर्थ सेमेस्टर की परीक्षा में भी वही पुराने विवादित पाठ्यक्रम से ही अश्लील सवाल पूछे गये। छात्र-छात्राओं द्वारा विरोध दर्ज कराये जाने के बाद सभी को उत्तीर्ण किया जाकर मामले को रफा-दफा किया गया।
विद्यार्थियों द्वारा सामग्री अश्लील एवं अप्रासंगिक होने के बात कही गयी थी जो सही थी। छात्र-छात्राओं के निवेदन पर मेरे द्वारा अध्यक्ष संस्कृत बोर्ड को पत्र लिखकर पाठ्यक्रम में परिवर्तन का अनुरोध किया था।
– डॉ. डी.डी. वेदिया, तात्कालीन विभागाध्यक्ष संस्कृत वेद ज्योतिर्विज्ञान अध्ययनशाला
मेरी जानकारी में यह विषय आया हो ऐसा मुझे ध्यान नहीं आ रहा है। आप शिकायती पत्र मेरे पास भिजवा दीजिये दिखवाता हूँ मामले को।
– प्रो. अखिलेश कुमार पांडे, कुलपति विक्रम विश्वविद्यालय