उज्जैन, अग्निपथ। महाकाल मंदिर में दर्शन करने आए मोरारी बापू के पहनावे पर पुजारियों ने आपत्ति जताई है। अखिल भारतीय पुजारी महासंघ ने कहा कि बापू के सिर पर बंधा कफन और लुंगी पहनकर गर्भगृह में जाने से मंदिर की मर्यादा भंग हुई है। हम उनका विरोध नहीं कर रहे है, सिर्फ संज्ञान में ला रहे हैं। मोरारी बापू 5 अगस्त को कैलाश यात्रा लेकर उज्जैन आए। यहां उन्होंने सिर पर सफेद कपड़ा बांधकर महाकाल के दर्शन किए थे।
अखिल भारतीय पुजारी महासंघ के अध्यक्ष महेश पुजारी ने कहा, जिस तरह मस्जिदों में टोपी का नियम है, गुरुद्वारे में सिर पर पगड़ी का नियम है, उसी गर्भगृह में महाकाल के सामने कभी भी सिर पर कपड़ा या पगड़ी बांधकर नहीं जाया जाता। महाकाल उज्जैन शहर के राजा हैं। महाकाल मंदिर गर्भगृह की अपनी व्यवस्था और नियम है। भक्त धोती और सोला पहनकर ही गर्भगृह में प्रवेश कर सकते हैं।
बापू ने लुंगी और सिर पर कफन बांध रखा था। इसी तरह गर्भगृह में किसी भी प्रकार का चमड़ा, बेल्ट, पर्स, टोपी, हथियार लेकर प्रवेश पर प्रतिबंध है। श्री महाकालेश्वर प्रबंध समिति के जिम्मेदारों को भी मंदिर की इस परंपरा के बारे में मोरारी बापू को जानकारी देनी चाहिए थी, जिससे वे नियम का पालन करते।
रामकथा सुनाने पहुंचे थे उज्जैन
देश में पहली बार 1008 यात्रियों ने केवल 18 दिनों में देशभर के तीन धाम व 12 ज्योतिर्लिंग की यात्रा पूरी की है। इस दौरान 13 स्थानों पर मोरारी बापू ने रामकथा भी सुनाई। उत्तराखंड के केदारनाथ से शुरू हुई द्वादश ज्योतिर्लिंग रामकथा यात्रा सोमवार को गुजरात के सोमनाथ में संपन्न हुई है। मोरारी बापू सावन में देश के बारह ज्योतिर्लिंगों में रामकथा सुनाने स्पेशल ट्रेन से निकले थे। इसी यात्रा के तहत 5 अगस्त को महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंगों पहुंचे थे। रामकथा वाचक मोरारी बापू की यह यात्रा विशेष ट्रेन से ऋषिकेश से शुरू हुई थी।