धार, (आशीष यादव) अग्निपथ। रिसता पानी…बांध को खाली करने में लगी मशीनें और भोपाल से दिल्ली तक निगरानी के लिए लगे अफसर और नेताओं के साथ जिले के लोग कभी 14 अगस्त 2022 को नहीं भूल पाएंगे। वजह यह है कि भारूड़पुरा स्थित कारम नदी पर बन रहे डेम के रिसाव के बाद जो हालात बने थे, उसने शासन-प्रशासन की नींद उड़ा दी थी। बांध को जैसे-तैसे खाली करवाने के लिए तमाम अमला लगा। लेकिन 14 अगस्त की शाम को जब बांध फूटा तो आसपास के गांवों में नुकसानी करते हुए निकला। उस बर्बादी के निशां आज भी डेम की डाउन स्ट्रीम में मौजूद गांवों के खेतों में देखे जा सकते हैं।
इस नुकसान की भरपाई के लिए सरकार ने सर्वे करवाया, लोगों को मुआवजा बांटा गया। लेकिन हालात अब भी सामान्य नहीं हो पाए हैं। खेतों से बह गई मिट्टी के बाद आज तक खेत तैयार नहीं हो पाए है।
कारम डेम फूटने की जांच के भी दावे हुए। प्रदेश स्तर पर कमेटियां बनाई गई। इसमें कई बिंदुओं पर जांच की गई। लेकिन हालात जस के तस ही बने रहे। कंपनी से डेम निर्माण करवाने के भी दावे हुए। लेकिन एक साल बाद भी डेम निर्माण को लेकर कोई हलहचल नहीं है। हालांकि विभाग इस बारिश के बाद कारम डेम का फिर से निर्माण करने की बात कह रहा है। कारम डेम में जो नुकसानी हुई है, यह निर्माण कंपनी से ही करवाया जाना है। लेकिन निर्माण शुरू होने का इंतजार अब सबको है।
मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल्य धार जिले में करीब 11 माह पहले कारम बांध देशभर की सुर्खियां बना था। 11अगस्त 2022 को इस बांध के मिट्टी वाले हिस्से में रिसाव शुरू हो गया था। जिसके बाद प्रशासन एवं सरकार तक हरकत में आ गई थी।तुरंत प्रशासन अपनी टीम लेकर मौके पर पहुंच गया था। प्रशासन ने मामले को गंभीरता से लेते हुए शाम 6 बजे बाद धार एवं खरगोन जिले के 18 गांवों को खाली करवा दिया गया था। 2 दिनों तक साइड में से चैनल बनाकर पानी निकालने का प्रयास किया गया ।
जिसके बाद 14 अगस्त को शाम 6 बजे चैनल के पास एक बड़ा भाग गिरने के बाद बांध में भरा पानी तेज गति में निकलने लगा और नदी ने रोद्र रूप लिया नदी के रोद्र रूप में नदी से लगी जमीनों मैं काफी नुकसान हुआ ।कई जमीने नदी बन गई । बड़े-बड़े पत्थर जमा हो गए। खेतों में लगी फसलें खराब हो गई। अभी भी यही आलम है कि कई खेत अभी भी नदी बने पड़े हुए है।
शासन द्वारा किसानों को फसल की मुआवजा राशि तो दे दी गई किंतु खेतों का सुधार कार्य नहीं करया गया। किसान भी चिंतित है कि हमारे खेत बर्बाद हो गए। अब हम इस खेत में खेती कैसे करें सरकार द्वारा भी कोई ध्यान नहीं दिया जाए। किसानों का कहना है कि जब बांध का निर्माण कार्य हो रहा था, तब हम बहुत खुश थे। हमें खुशी थी कि हमारे सालों का सपना पूरा होने जा रहा है। हमें अब पानी के लिए इधर-उधर भटकना नहीं पड़ेगा।
हमें खेती करने के लिए डेम से पर्याप्त पानी मिल सकेगा और अच्छी हम खेती कर सकेंगे। लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही से निर्माणधीन बांध टूट गया और वह टूटा तो हमारे खेतों को भी बर्बाद कर गया। एक साल हो गए अभी तक डेम जैसी हालत में छोड़ा था वैसा ही पड़ा हुआ है। अभी तक कोई उसमें काम चालू नहीं हुआ।
किसानों का दर्द बरकरार
जहांगीरपुरा के जयसिंह ठाकुर ने बताया कि बांध फूटने से आई बाढ़ में निर्माणाधीन मकान बह गया, अब झोपड़ी में रहने को मजबूर हैं। खेत भी नदी बन गया। खेती भी नहीं कर पा रहा हूं। मेरा लगभग एक लाख का नुकसान था जिसमें मुझे मुआवजा राशि 16 हजार रुपए ही दी गई।
नहीं रहा 4 बीघा का खेत
कोठिदा के गोलू ठाकुर का कहना है कि डैम फूटने पर पूरा खेत नदी बन गया था। आज भी यहां पर नदी के बड़े बड़े पत्थर पड़े हैं। यहां अब हम खेती नहीं कर सकते हैं। हम पहले गेहूं, मक्का, कपास आदि फसल करते थे। इससे हमारा घर का जीवन यापन चलता था। हमारे 4 बीघा खेत इधर और डैम के पास 3 बीघा दोनों खेत खत्म हो गए। मजदूरी करके जीवन यापन करना पड़ रहा है। मुआवजा राशि सिर्फ पिछले साल फसल की 4 हजार रुपए राशि दी गई थी। इसके बाद खेत खत्म होने वाला मुआवजा नहीं दिया गया।
वो 5 दिन…
- 11 अगस्त 2022 को दोपहर 1 बजे मिट्टी के बांध से रिसाव होने की सूचना मिली थी। शाम 6 बजे खरगोन एवं धार जिले के 18 गांव को खाली कराने का आदेश जारी हुआ।
- 12 अगस्त को सुबह 7 बजे फिर बांध की पाल खिसकने एवं तेज पानी निकलने की स्थिति बनी। दोपहर बाद हेलीकॉप्टर से निगरानी रखना शुरू की गई। वही एनडीआरएफ एवं सेना सहित कई टीम मौके पर पहुंची।
दोपहर 12 बजे उद्योग मंत्री राजवर्धनसिंह दत्तीगांव मौके पर पहुंचे और स्थिति का जायजा लेकर नेशनल हाईवे भी बंद करवा दिया गया। - 12 अगस्त को ही बांध के पास से एक चैनल बनाने के बाद शुरू किया गया।
- 13 अगस्त को रात 1 बजे बांध से पानी निकलने लगा।
- 14 अगस्त की शाम 6 बजे अचानक से बांध के चैनल का एक बड़ा हिस्सा गिरा और वहां तेज तेज गति में पानी निकलने लगा और बाढ़ के हालात बन गए। नदी के रौद्र रूप के बाद कई घरों और खेतों में पानी घुसने से फसलें प्रभावित हुई।
- 15 अगस्त को बांध के स्थान पर विभागीय मंत्री तुलसी सिलावट द्वारा झंडा वंदन कर सभी टीमों का सम्मान कर सभी को अच्छे कार्य की बधाई दी।
बांध की खास बाते एक नजर
- इस बांध से 8 ग्राम डूब में आए हैं।
- निजी लोगों की 90 हेक्टेयर भूमि डूबी है।
- 65 हेक्टेयर सरकारी जमीन डूबी है।
- ग्राम कोठिदा में कारम नदी पर यह बांध बना है।
- 52 ग्रामों के लोगों को सिंचाई मिलता।
- 10500 हेक्टेयर में सिंचाई क्षमता।
- बांध की लागत 304.44 करोड़।
- निर्माण पर खर्च 100 करोड़ से ज्यादा रुपए बर्बाद ।