शिप्रा प्रदूषण पर न्यायालय में चार कलेक्टर ने पेश की रिपोर्ट
उज्जैन, अग्निपथ। शिप्रा प्रदूषण को लेकर विक्रम विश्वविद्यालय कार्य परिषद सदस्य द्वारा लगाई एनजीटी की याचिका में गुरुवार को सुनवाई हुई। जिसमें एनजीटी के निर्देश पर देवास, इंदौर, उज्जैन, रतलाम कलेक्टर ने अपनी रिपोर्ट सौंपी। नोडल एजेंसी ने अपनी पृथक से रिपोर्ट प्रस्तुत की।
बहस के दौरान अनेक बिंदुओं पर चर्चा हुई। जिसमेें चारों जिलों के कलेक्टर कई मुद्दों पर पूरी जानकारी नहीं दे पाये। चारों कलेक्टर एवं नोडल एजेंसी की रिपोर्ट पर एनजीटी ने चारों जिलों में एडवोकेट्स को नियुक्त करने और अपनी रिपोर्ट देने के निर्देश दिये हैं। सुनवाई के दौरान एनजीटी ने कहा कि उज्जैन की रिपोर्ट ठीक नहीं है।
नालों के मिलने से हो रहा प्रदूषण
सुनवाई के दौरान सामने आया कि उज्जैन और देवास जिले के नाले शिप्रा में मिल रहे हैं इस कारण शिप्रा प्रदूषित हो रही है।देवास की रिपोर्ट में कहा गया कि नाला है और शिप्रा नदी में जाने से पहले सूख जाता है। इंदौर कलेक्टर ने अपनी रिपोर्ट में स्वीकारा कि रोज 100 एमएलडी सीवरेज यानी नाले का पानी कान में मिलता है। यही आगे जाकर शिप्रा में मिलता है।
मिलीजुली रिपोर्ट पर न्यायालय नाराज
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने स्वीकार किया कि नोडल एजेंसी और कलेक्टरों ने मिलकर रिपोर्ट बनाई है। एनजीटी ने कहा रिपोर्ट मे अनेक जगह स्पष्ट नहीं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी स्पष्ट रूप से माननीय न्यायाधीशों के निर्णय का जवाब नहीं दे सके जिस पर अनेक बार न्यायाधीशों में नाराजगी जाहिर की। एसटीपी कंप्लीट नहीं है प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों ने माना।
उद्योगों के प्रदूषण पर जबाव नहीं दे सके
न्यायालय में सामने आया कि उद्योगों में 68 उद्योग ऐसे हैं जो प्रदूषित पानी छोड़ते हैं। न्यायालय ने पूछा कि इनके उपचार की क्या प्रक्रिया है, तब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों ने कहा कि यह पानी ट्रीटमेंट होकर गार्डन में इनका उपयोग किया जाता है। जिस पर न्यायाधीश ने कहा कि कितनी जमीन में गार्डन है और कहां उपयोग होता है। इतना पानी प्रतिदिन गार्डन में डालेंगे तो उसकी क्या स्थिति होगी इसका कोई स्पष्ट जवाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी नहीं दे पाए।
कार्रवाई में यह बिंदू भी आये सामने
- प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों ने कहा प्रदूषित पानी शिप्रा में नहीं जा रहा किंतु फिर भी शिप्रा का पानी डी केटेगरी का क्यों है इसका कोई उत्तर वह नहीं दे पाए।
- उद्योगों के ट्रीटमेंट प्लांट को क्रॉस चेक पीसीबी ने नहीं किया।
- ऑनलाइन मॉनिटरिंग की व्यवस्था की जाए।
- इंदौर कलेक्टर की रिपोर्ट में कहा गया कि कान्ह के कारण प्रदूषित हो रही है ।