धर्मस्व मंत्री को भी लिखा पत्र, फिल्म में महाकाल मंदिर से जुड़े दृश्यों से आपत्ति
उज्जैन, अग्निपथ। ओएमजी-2 को देश भर के सिनेमा घरों में रिलीज हुए एक हफ्ता हो चुका है। इधर फिल्म देखने के बाद उज्जैन महाकाल मंदिर के पुजारी और अखिल भारतीय पुजारी महासंघ का विरोध जारी है। महाकाल मंदिर के पुजारी कोर्ट का नोटिस देने के बाद अब अक्षय कुमार सहित निर्माता और निर्देशक पर एफआईआर दर्ज कराने के लिए चिमनगंज मंडी थाने पहुंचे।
पुजारी महेश शर्मा और पुजारी महासंघ के सचिव रुपेश मेहता ने थाने में फिल्म के एक्टर अक्षय कुमार,फिल्म के निर्माता विपुल शाह, निर्देशक अमित राय, भारतीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून कुमार जोशी के खिलाफ शिकायती आवेदन की है।
महेश शर्मा ने बताया कि अपने वकील के माध्यम से सूचना पत्र प्रेषित कर यह सूचित किया था कि सूचना पत्र प्राप्ति से 24 घण्टे के भीतर भगवान शिव के प्रति जो अपमान जनक चित्रांकन किया गया है उसे तुरंत हटावे व भगवान शिव के प्रति आस्था रखने वाले समस्त लोगों से सार्वजनिक रूप से माफ़ी मांगे लेकिन सूचना मिलने के बाद भी उक्त लोगों के द्वारा विवादित दृश्य हटाए नहीं गए और न क्षमा याचना की है।
जिसको लेकर थाने में सभी के खिलाफ 295 ्र, 298 505 में एफआईआर दर्ज करने के लिए शिकायती आवेदन दिया है। एक अन्य आवेदन धर्मस्व मंत्री उषा ठाकुर को भी दिया जा रहा है जिसमे सभी जिम्मेदारों पर कार्यवाही की बात कही गई है।
यह आपत्ति है आवेदकों को
अपने शिकायती आवेदन में महेश पुजारी और रुपेश मेहता ने लिखा कि फिल्म में दिखाया गया है कि भगवान शिव की उत्पत्ति किस प्रकार हुई है जबकि भगवान शिव स्वयंभू है एवं भगवान शिव के गण के रूप में जो चित्रण अक्षय कुमार के ऊपर किया गया है वह शिव के गण का नहीं भगवान शिव का ही चित्रण है क्योंकि विष पीने की शक्ति भगवान शिव के अलावा किसी अन्य को नहीं है इसीलिए श्रद्धा स्वरूप आकड़ा एवं धतूरा भगवान शिव को चढ़ाया जाता है।
साथ ही उक्त फिल्म में भगवान शिव के जलाभिषेक के समय अक्षय कुमार को स्नान करते हुए दर्शाया है जबकि जलाभिषेक भगवान शिव का ही होता है न कि उनके गण का। साथ ही भस्म लेपन भी भगवान शिव का ही होता है न कि शिव के गण का। जो यह दर्शाता है कि फिल्म में जो चित्रांकन किया गया है वह भगवान शिव का ही किया गया है। मात्र ध्यान भटकाने के लिये भगवान शिव के गण का नाम उस पात्र को दिया गया है।
भस्म चढ़ाने की परम्परा को गलत ढंग से पेश किया
फिल्म में श्री महाकालेश्वर मंदिर की परम्परा के साथ भी छेडख़ानी की गई है। श्री महाकालेश्वर मंदिर में पूजन का अधिकार मात्र पुजारियों को महाकालेश्वर मंदिर अधिनियम के अनुसार है। फिल्म के किरदार को महाकाल मंदिर मे भगवान श्री महाकालेश्वर मंदिर की आरती करते दिखाया गया है।
साथ ही भस्म लेपन के समय श्री महाकालेश्वर मन्दिर मे पुजारियों के द्वारा निवेदन उपस्थित महिलाओं से किया जाता है कि वे घूंघट कर ले चेहरा ढक ले ताकि शिव के दिगम्बर रूप को पुरूष के अलावा कोई अन्य न देखे परन्तु इसके विपरीत जाकर उक्त दृश्यों का फिल्मांकन किया जो कि मंदिर की परम्परा के खिलाफ है।