अपने दम पर दर्शन किये मीडिया ने कलेक्टर-एसपी ने की वादाखिलाफी

यहां से दिया जाना था मीडियाकर्मियों को प्रवेश, चित्र में दिख रहे हालात खुद ही सच्चाई बयां कर रहे हैं।

क्राउड मैनेजमेंट में प्रशासन फेल, बुरी तरह परेशान किया दर्शनार्थियों को

उज्जैन, अग्निपथ। एक बार फिर उज्जैन की मीडिया ने अपना दम दिखाया और परिवार के साथ भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन किये। जबकि प्रशासन ने मीडिया को दर्शन के लिए परिवार सहित आमंत्रित कर ऐनवक्त पर मुंह छिपा लिया। कलेक्टर-एसपी की इस वादाखिलाफी के खिलाफ मीडिया जगत में आक्रोश है।

शनिवार को कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम, एसपी सचिन शर्मा, नगर निगम आयुक्त रोशन कुमार, श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति प्रशासक संदीप सोनी ने पत्रकार वार्ता मेें मीडिया को दोपहर 12 से 2 बजे के बीच सपरिवार भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन के लिए आमंत्रित किया था। मीडिया द्वारा प्रशासनिक और पुलिस बदइंतजामी का मुद्दा उठाने पर अफसरों ने दावा किया था कि कोई तकलीफ नहीं आने दी जायेगी।

ऐन वक्त पर अधिकारी गायब, पुलिस -सुरक्षा कर्मी करते रहे अभद्रता

सोमवार दोपहर 12 बजे बाद जब मीडियाकर्मी परिजनों के साथ निर्धारित स्थान महाकाल मंदिर के मुख्य द्वार पर एकत्रित हुए तो यहां उन्हें पुलिसकर्मियों की अभद्रता का शिकार होना पड़ा। कभी गेट नंबर १ तो कभी नई व्यवस्था का हवाला देकर गेट नंबर 4, 5 और 13 की घुमाया गया। करीब एक-डेढ़ घंटे भटकने के बाद मीडियाकर्मी पुन: मंदिर के मुख्य द्वार पर एकत्रित हुए। वहां पुलिस जवान अभद्रता कर रहे थे।

जनसंपर्क विभाग उपसंचालक रश्मि देशमुख मीडिया की ओर पीठ कर खड़ी रहीं। मंदिर पीआरओ गौरी जोशी मौके से गायब हो गई। पीआरओ संतोष उज्जैनिया और हरिशंकर शर्मा जरूर सामने आये लेकिन इनकी पीड़ा थी कि पुलिस जवान इनकी सुन ही नहीं रहे हैं।

आमंत्रित करने वाले जिम्मेदार अधिकारी गायब थे। ऐसे में मीडिया ने ही दम दिखाया और अपने हौंसले के दम पर परिवारजनों को दर्शन करवाये। अभद्रता का दंश कई मीडियाकर्मियों ने परिजनों के समक्ष झेला। पुलिस के साथ ही महाकाल मंदिर की सुरक्षा कंपनी क्रिस्टल के जवानों ने भी मीडिया का अपमान किया तो अंत में मीडिया को भी अपनी ताकत दिखानी पड़ी।

आम जनता भी बुरी तरह परेशान, यहां से वहां घुमाते रहे

पुलिस, प्रशासन और क्रिस्टल कंपनी के जवानों की अभद्रता का शिकार सिर्फ मीडियाकर्मी ही नहीं बल्कि आमजन भी हुए हैं। कहीं भी कोई सही जानकारी देने वाला नहीं था कि दर्शन के लिए आमजन कहां जाएं और कहां से लाइन में लगे। मीडिया के समक्ष अफसरों ने बड़े-बड़े दावे किये थे कि सूचना पटल बोर्ड जगह-जगह लगाये जाएंगे। जगह-जगह पूछताछ केंद्र बनायें जा रहे हैं, ताकि लोगों को कोई तकलीफ नहीं हो। लेकिन यह सब दावे हवा-हवाई निकले।

न बसें थी न मेटिंग, कीचड़ में घूमे दर्शनार्थी

  • दर्शनार्थियों को मंदिर तक लाने वाली नि:शुल्क बसें कहीं नजर नहीं आई
  • जूता-चप्पल स्टेंड से मंदिर द्वार तक कालीन भी नहीं दिखी, कीचड़ में चले दर्शनार्थी
  • पेयजल और शौचालय की व्यवस्था भी ध्वस्त
  • बुजुर्ग और नि:शक्तों के दर्शन लिए कोई व्यवस्था नहीं थी
  • भजन मण्डली भी नहीं थी दर्शनार्थियों के बीच
  • फ्लेक्स बोर्ड, दिशा सूचक नहीं थे, जानकारी के लिए श्रद्धालु भटकते रहे

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