ठेले और रेहड़ी वालों को खदेडऩे से फिर नया विवाद खड़ा

नगर निगम

गरीबों के सामने संकट खड़ा, निगम के कर्मचारी करने लगे दादा गिरी

उज्जैन, अग्निपथ। शहर में एक बार फिर से नया विवाद खड़ा हो गया। नगर निगम लगातार गरीबों को खदेडऩे की मुहीम चला रहा है। इसी के तहत छत्री चौक पर एक ठेला व्यापारी ने आत्महत्या कर ली। इस मामले में निगम के कर्मचारी पर मारपीट के आरोप लगे हैं। पुलिस ने जांच की बात कहकर व्यापारियों के आक्रोश को शांत तो कर दिया है। परन्तु आगामी दिनों में विवाद बढ़ेगा। इसको लेकर कांग्रेस नेता भी सक्रिय हो गए हैं।

बताया जाता है कि शहर में चार से पांच हजार ठेले गुमटी वाले हैं। जो अपना और परिवार का पेट पालते हैं। इन लोगों को रणनीति रूप से शहर के प्रमुख स्थानों से खदेडऩे का काम निगम के कुछ लोगों द्वारा किया जा रहा है। इसके खिलाफ अब लोग लामबंद होने लगे हैं।

ठेलेवाले आंदोलन करेंगे

बताया जाता है कि छत्रीचौक पर ठेलेवालों से नगर निगम के कर्मचारी और अफसर ह ता वसूली करते रहे हैं। पिछले दिनों जिंजर कांड भी इसी क्षेत्र में सामने आया था। इसमें निगम के कर्मचारियों की मिली भगत सामने आई थी। परन्तु बताया जाता है कि जिन लोगों पर कार्रवाई की गई थी। उन्हें फिर से निगम में नौकरी मिल गई है। अब इस मामले से नया विवाद सामने आया है।

जिस कर्मचारी और अधिकारी के खिलाफ इस मामले में शामिल होने या धमकाने के आरोप लगे हैं उनका भाजपा के कुछ नेता समर्थन कर रहे हैं। इसी के चलते आगामी दिनों में इनके खिलाफ कार्रवाई की संभावना कम ही दिखाई दे रही है। इससे आक्रोश बढऩे से विवाद खड़ा होगा।

कांग्रेस ब्लाक अध्यक्ष ने चुप्पी साधी

छत्री चौक पर व्यापारी के आत्महत्या के मामले में छत्रीचौक सर्राफा ब्लाक अध्यक्ष मुजीब सुपारीवाला से कुछ ठेला व्यापारी मिले थे। उनका तर्क था कि सालों से रोजी-रोटी के लिए ठेला लगा रहे हैं। सरकार के पास नौकरी नहीं है। हम अपना व्यापार करके परिवार का पेट पाल रहे हैं। ऐसे में निगम के अफसर और पार्षद उन्हें बेदखल करने पर आमदा है। उन्हें वैकल्पिक स्थान रोजगार के लिए उपलब्ध कराया जाना चाहिए। परन्तु सुपारीवाला ने इस मामले में चुप्पी साध ली है।

कांग्रेस और भाजपा के बीच ठनी है

छत्री चौक पर कांग्रेस झंड़ा वंदन करती आ रही है। जबकि भाजपा को एक कोने में झंडा वंदन करना पड़ता है। इस वजह से यह भाजपा को खटकता रहा है।

वीडियो निगम कर्मचारी के लिए बनेगा फांस

बताया जाता है कि छत्रीचौक पर मारपीट करने का वीडियो पीडि़त के परिजनों के पास है। कल जब उन्होंने प्रदर्शन किया था तब उन्होंने इसका दावा किया था। पुलिस ने मर्ग कायम करने के बाद जांच शुरू की है। अगर परिजनों ने पुलिस को मारपीट का वीडियो उपलब्ध करा दिया तो निगम कर्मचारी के खिलाफ धारा 302 में केस दर्ज करना पुलिस की मजबूरी बन जाएगी। वहीं निगम के अफसरों की पोल भी खुल जाएगी कि वे कार्रवाई करने के साथ लोगों के साथ मारपीट करते हैं। जबकि उनके पास इसका कोई अधिकार ही नहीं है। उनकी गलती से एक परिवार उजड़ गया है।

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