उज्जैन जिले में भेदभाव का आरोप लगाया मांझी समाज के पदाधिकारियों ने
उज्जैन, अग्निपथ । मांझी आदिवासी समुदाय के जाति प्रमाण पत्र नहीं बनाए जा रहे हैं। इससे समाज के युवाओं और अन्य लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। राज्य सरकार के निर्देशों के बाद भी जिला स्तर पर इन कोताही बरती जा रही है।
उक्त आरोप मांझी आदिवासी समाज की महिला अध्यक्ष खुशबू रायकवार, बसंत रायकवार, मोहनलाल गुहा ने संयुक्त रूप से पत्रकारवार्ता में लगाए। उन्होंने बताया कि प्रदेश में एक ही पार्टी का शासन है फिर भी शासन के विभिन्न पदों पर बैठे अफसर आदेश की अनदेखी कर रहे है परिणाम स्वरूप इस वर्ग से जुड़े लोगों को जाति प्रमाण पत्र वे से वंचित किया जा रहा है।
रायकरवार ने कहा कि वर्ष 1950 से ही मांझी समाज अनुसूचित जनजाति वर्ग मे स िमलित किया गया था उसके उपरांत राज्य शासन के सामान्य प्रशासन विभाग के एक पत्र जिला कलेक्टर उज्जैन को जाति प्रमाण पत्र जारी करने के निर्देश 18.10.2019 को जारी किया है। इसके बाद भी जाति प्रमाण पत्र नहीं बनाए जा रहे हैं।
इसी तरह सामान्य प्रशासन विभाग के द्वारा 17 सितंबर 2018 को प्रदेश भर के सभी विभागाध्यक्ष, संभागायुक्त, कलेक्टर्स व मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला पंचायत को निर्देश मांझी जाति के लोगों को प्राथमिकता से जाति प्रमाणपत्र जारी करने के निर्देश दिये है।
गौरतलब है कि मध्यप्रदेश के अन्य शहरों व जिलों जैसे, इन्दौर, देवास, घटिटया, ग्वालियर, नागदा, आदि प्रमुख स्थानों पर मांझी जुडे सदस्यों को जाति प्रमाण पत्र जारी किये जा रहे है। वर्ष 2019 के पश्चात से जाति प्रमाण पत्र अनदेखी की जा रही है याने सरकार सरकारी आदेश का पालन नहीं कर रहे हैं इससे बड़ा मजाक होगा।उन्होंने कहा कि उज्जैन जिलें में जिन स्थानों पर नायब तहसीलदार द्वारा मांझी जाति वर्ग के लोगों को जो प्रमाण पत्र जारी किये गये है उनको डिजिटल प्रमाण पत्र जारी किया जाए।