मप्र दलहन तिलहन महासंघ की बैठक में प्रदेश के व्यापारियों ने लिया फैसला
उज्जैन, अग्निपथ। मप्र दलहन तिलहन महासंघ ने तीन सूत्रीय मांगों के निराकरण नहीं होने पर चार सितंबर से प्रदेश की सभी मंडियों को बंद करने के फैसला लिया है। 3 सितंबर तक का समय सरकार को महासंघ ने दिया है।
उक्त जानकारी देते हुए महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष गोपाल दास अग्रवाल ने बताया कि मप्र की मंडियों में कारोबार करने वाले व्यापारी लंबे समय से लीज नवीनीकरण, एक लाइसेंस आजीवन, मंडी शुक्ल, निराश्रित शुल्क और मंडी बोर्ड की हठधर्मिता के विरोध में चार सितंबर से प्रदेश की सभी मंडियां बंद रहेगी।
उन्होंने व्यापारियों से आह्वान किया कि मंडी बंद से मतलब कारोबार बंद करने से है। इसलिए सभी व्यापारी एकजुटता का परिचय देते हुए मंडी में चार सितंबर से कारोबार करना बंद कर दें। क्योंकि सरकार व्यापारियों की समस्या के निराकरण के लिए कोई काम करने को तैयार नहीं है।
उन्होंने कहा कि व्यापारियों की समस्या का एजेंडा भाजपा और कांग्रेस के सभी नेताओं को दिया जाए। ताकि सभी व्यापारियों के समर्थन में आगे आए और समस्या का निराकरण हो सके। उन्होंने कहा कि जहां जिस भी साधन सूचना बंद की देनी है दी जाए। वहीं अनाज तिलहन संघ उज्जैन के अध्यक्ष गोविंद खंडेलवाल ने बताया कि उज्जैन अनाज मंडी में चल रही हड़ताल लगातार जारी रहेगी। इसमें कोई बदलाव नहीं आया है।
चार सितंबर तक उज्जैन मंडी बंद रहेगी। इस बैठक में उज्जैन, भोपाल, धार, गुना, विदिशा, गंजबासौदा समेत प्रदेश के अनेक मंडियों से व्यापारी प्रतिनिधि पहुंचे थे और उन्होंने अपने यहां की विभिन्न समस्याओं की जानकारी देकर महासंघ से प्रदेश स्तर पर हल कराने की मांग की। बैठक में प्रदेश महामंत्री राधेश्याम माहेश्वरी, प्रकाश तल्लेरा, शरद अग्रवाल, गोविंद खंडेलवाल, मुकेश हरभजनका, अनिल गर्ग, अनिल शेखावत, मनीष जैन गावड़ी, अभिषेक जैन, उमेश जैन, राजेंद्र राठौर, बाबूलाल सिंहल, दिनेश भायल, संदीप सारडा, जितेंद्र अग्रवाल, हजारीलाल मालवीय, निमेष अग्रवाल, राजेश बंसल, दिलीप गुप्ता आदि मौजूद थे।
हर जिले से महासंघ में दो व्यापारी जुड़ेंगे
महासंघ का विस्तार किए जाने का फैसला भी उज्जैन बैठक में लिया गया है। महासंघ में इस बार हर जिले से दो व्यापारियों को प्रतिनिधित्व देने का फैसला किया गया है। जिला स्तर से दो व्यापारियों के नाम महासंघ को भेजे जाएंगे। इसी के आधार पर उनका नाम दर्ज किया जाएगा और उन्हें प्रदेश स्तर की जिम्मेदारी भी सौंपी जाएगी। पहली बार संघ की सदस्यता शुल्क पर भी फैसला लिया गया है। ए,बी,सी स्तर की मंडियों के लिए 11 हजार से पांच हजार रुपए का वार्षिक सदस्यता शुल्क लेने का फैसला किया गया है।
मंडी में पसरा सन्नाटा, हम्मालों की राखी बिगड़ी
अनाज तिलहन संघ के चलते मंडी से जुड़े 1700 से ज्यादा ह माल और तुलावडियों की इस बार राखी बिगड़ गई है। पिछले एक सप्ताह से मंडी में हड़ताल की वजह से कामकाज नहीं होने से इनके पास भी कोई काम नहीं है। इसकी वजह से रोज कमाने खाने वालों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। मंडी में ह माल खाली बैठे हुए हैं।
मंडी को करोड़ों का नुकसान
बताया जाता है कि एक दिन में इस दिनों में सवा करोड़ से ज्यादा का मंडी में कामकाज होता है। परन्तु एक सप्ताह से हड़ताल के चलते मंडी को करोड़ों का नुकसान हो गया है। मंडी में करीब आठ से दस करोड़ का टर्न ओवर प्रभावित हुआ है।