श्रम कानून खत्म करने के विरोध में अभिभाषकों ने दिया धरना

आरोप : औद्योगिक घरानों के दबाव में बनाया कानून, नहीं मिल सकेगा मजदूरों को न्याय

उज्जैन,अग्निपथ। केंद्र सरकार द्वारा श्रम कानून के संबंध में बनाए नए कानून के विरोध में गुरुवार को मंडल अभिभाषक संघ ने कोठी पर धरना दिया। श्रम व औद्योगिक अभिभाषक संघ द्वारा प्रदेश में किए जा रहे आंदोलन के समर्थन में धरने पर बैठे अभिभाषकों ने आरोप लगाया कि नया कानून औद्योगिक घरानों के दबाव में बनाया गया है। अब मजदूरों को न्याय नहीं मिल सकेगा।

धरने के दौरान वरिष्ठ अभिभाषक एनएस राणावत ने बताया कि केंद्र सरकार ने कार्पोरेट घरानों के दबाव में जो कानून बनाया है उसके तहत अब जहां 300 मजदूर काम कर रहे होंगे वहीं लेबर एक्ट लागू होगा। पहले 20 मजदूर भी अन्याय के खिलाफ श्रम न्यायालय जा सकते थे। उन्होंने सरकार से कानून वापस लेने की मांग की है।

अभिभाषक ब्रजमोहन गेहलोत ने कहाकि वर्तमान में प्रदेश में 26 श्रम न्यायालय व पांच इंडस्ट्रीज कोर्ट हैं। नए कानून में प्रदेश में सिर्फ एक इंडस्ट्रीज ट्रब्यूनल कोर्ट केसों का निराकरण करेगा। ऐसी स्थिति में मजदूरों को न्याय मिलना बंद हो जाएगा। यह भी कहाकि नए कानून के तहत मजदूरों को 12 घंटे काम करना पड़ेगा, जबकि पहले सिर्फ 8 घंटे काम करते थे। उन्होंने बताया कि इस कानून के विरोध में मप्र श्रम व औद्योगिक अभिभाषक संघ पूरे प्रदेश में आंदोलन कर रहा है इसके समर्थन में उज्जैन मंडल अभिभाषक संघ ने धरना दिया है।

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