लेकोड़ा सेवा सहकारी समिति में गबन

किसानों ने किया प्रदर्शन, मैनेजर की संपत्ति होगी अटैच, एफआईआर के निर्देश

उज्जैन, अग्निपथ। लेकोड़ा की सेवा सहकारी समिति के मामले में भारतीय किसान संघ ने रैली निकालकर कलेक्टर आफिस और बाद में जिला सहकारी बैंक के बाहर प्रदर्शन किया। भारी हंगामे के बाद एडीएम और जिला सहकारी बैंक के एमडी ने किसानों को आश्वासन दिया कि 45 किसानों के साथ धोखाधड़ी साबित हो गई है। इसलिए शुक्रवार को उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए आवेदन दिया जाएगा।

अगले छह दिन बाद सभी किसानों की सूची की जांच करके उनके उनके साथ भी धोखाधड़ी होने की एफआईआर दर्ज कराई जाएगी। किसानों से तब तक रिकवरी नहीं होगी और उन्हें खाद-बीज मिलती रहेगी। इस आश्वासन के बाद ही किसानों ने धरना समाप्त किया।

जिला सहकारी बैंक के एमडी विशेष श्रीवास्तव ने बताया कि सेवा सहकारी समिति लेकोड़ा से जुड़े 30 -40 किसानों ने उनके साथ धोखाधड़ी किए जाने का आवेदन दिया था। उसके आधार पर जांच कराई गई थी। 20 से 22 लाख रुपए की धोखाधड़ी सामने अभी तक आई है। जांच की जा रही है।

इसी आधार पर सेवा सहकारी समिति के मैनेजर निशिकांत चौहान को उसका पक्ष रखने के लिए बुलाया गया था। परन्तु वह घर पर नहीं मिला और उसका मोबाइल बंद आ रहा है। इसलिए उसके घर पर नोटिस चस्पा करके निलंबित कर दिया गया है। एक दो दिन में जांच पूरी हो जाएगी। इसके बाद एफआईआर के लिए पुलिस थाने में आवेदन दिया जाएगा।

वहीं एसडीएम ने कहा कि किसानों ने तीन मांगें रखी थी। पहली मांग थी कि धोखाधड़ी की एफआईआर हो। उसके लिए जांच का समय लिया गया है। जिन किसानों के मामले की जांच हो गई है। उसकी एफआईआर दर्ज करवा दी जाएगी। किसानों से रिकवरी नहीं किए जाने का आश्वासन भी एमडी जिला सहकारी बैंक ने दिया और किसानों को खाद-बीज मिलती रहे। इसकी व्यवस्था के निर्देश भी दिए गए हैं।

वहीं भारतीय किसान संघ के अध्यक्ष दशरथ पंडया का कहना है कि करीब 700 किसानों से जुड़ा मुद्दा है। सभी किसानों के साथ धोखाधड़ी की गई है। इसलिए सभी किसानों की तरफ से केस दर्ज हो और उनका पैसा मैनेजर से वापस दिलाया जाए।

मृत किसानों के खाते से पैसा निकाला, कर्जदार बनाया

लेकोड़ा के किसान अर्पित पटेल, सुनील पेटले, सुनील मुकाती, कमल, कैलाशचंद्र राठौर आदि ने बताया कि गांव में कई किसानों का निधन हो चुका है। दो साल बाद भी उनके खाते से एक से दो लाख रुपए निकाल लिया गया और उन्हें कर्जदार बना दिया गया है। शिकायत करने पर बैंक के लोग ध्यान नहीं दे रहे थे। आज आंदोलन किया तो सब सामने आए हैं। पांच दिन पहले भी शिकायत की गई थी। इनमें कुछ किसान तो गांव छोडक़र उज्जैन में आकर मजदूरी करके परिवार पाल रहे हैं। मैनेजर ने इन किसानों के खातों से भी पैसा निकालकर उन्हें कर्जदार बना दिया है।

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