सुसनेर, अग्निपथ। सालरिया गौ अभ्यारण्य को सरकार ने आरएसएस प्रमुख की मंशानुसार बनाया तो गौ अनुसंधान केन्द्र और गो तीर्थ के लिए था। किन्तु यह अभ्यारण्य भ्रष्टाचार की चरागाह बनकर रह गया। यहां रहने वाली गायों के लिए आने वाले भूसें की खरीदी में जिम्मेदारों ने संगठित गिरोह बनाकर बिहार के चारा घोटाले की तर्ज पर सालरिया भूसा घोटाले को अंजाम दे डाला।
वित्तीय वर्ष 2021-22 में इस अभ्यारण्य में जितनी गायें मौजूद थीं उनकी जरूरत से दोगुना भूसा खरीदा। भूसा गेहूं का खरीदना था। किन्तु सोयाबीन का भूसा गायों को खिलाया गया। इस बात का खुलासा पशुपालन विभाग से सूचना का अधिकार के तहत मिली जानकारी से हुआ।
अब इस खरीदी का रिकार्ड गायब करके भ्रष्टाचार करने वाले गिरोह के सदस्य अपने आप को बचाने में जुटे हैं। लूट पाट के इस संगठित गिरोह में कम से कम 5 लोग शामिल है। सूचना के अधिकार के तहत पशुपालन विभाग द्वारा उपलब्ध करवाई गई जानकारी के अनुसार वर्ष 2021 में 3 रूपये 93 पैसे प्रति किलोग्राम की दर से भूसे का टैंडर दिया गया था।
यह वह समय था जब कोरोनाकाल चल रहा था। जनवरी 2021 में 5 लाख 8 हजार रुपये का 700 क्विंटल भूसा, फरवरी में 5 लाख 480 किलोग्राम भूसा तथा मार्च में 2 लाख 60 हजार 715 किलोग्राम भूसे की खरीदी करना अधिकारियों ने बताया है। अप्रैल 2021 में तो खरीदी के तमाम रिकार्ड को तोड़ते हुए 8 लाख 93 हजार 290 किलोग्राम भूसा खरीदा है। अकेले अप्रैल के भूसे के लिए 35 लाख 10 हजार 629 रूपये की राशि का भुगतान अधिकारियों ने किया है।
जबकि खास बात यह है कि इतना भूसा रखने की गौ अभ्यारण्य में जगह ही नहीं थी। तो फिर अधिकारियों ने खरीदकर उस भूसे को कहा रखा। संभावना है कि इसमें से अधिकांश खरीदारी केवल कागजो में ही करके ठेकेदार को भुगतान करना बताकर उसका बंटवारा कर लिया गया हो।
पांच किलो भूसा प्रति गाय, प्रतिदिन तय था मानक
शासन के द्वारा गो अभ्यारण्य सालरिया में रखी जाने वाली गायों के लिए 5 किलो भूसा प्रतिदिन खिलाए जाने का मानक तय किया गया था। इसको ही अगर आधार मान ले तो अप्रैल 2021 में जो 8 लाख 93 हजार 290 किलोग्राम भूसा अधिकारीयो ने खरीदा था उसके लिए अभ्यारण्य में गायों की संख्या कम से कम 7 हजार तो होना ही चाहिए थी।
जबकि रिकार्ड के अनुसार उस समय अभ्यारण्य में 3 हजार 94 गायें ही मौजूद थी। तो फिर जिम्मेदारों ने इतना अधिक भूसा कोन सी गायों को खिलाया?