संस्कृत नाट्य समारोह का शुभारम्भ कर्णभारम् के साथ

उज्जैन, अग्निपथ। कालिदास संस्कृत अकादमी कालिदास साहित्य के साथ-साथ संस्कृत नाट्यविधा में निरन्तर कार्य करते हुए ऐसा प्रतीत होता है कि देश की एकमात्र संस्था कालिदास संस्कृत अकादमी है जो संस्कृत नाटकों का मंचन अत्यधिक रूप से करते हुए देवभाषा को आगे बढ़ाने में अग्रसर है।

संस्कृत नाट्य समारोह के शुभारम्भ अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रो. बालकृष्ण शर्मा, पूर्व कुलपति, विक्रम विश्वविद्यालय ने यह विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विधायक पारस जैन ने कहा कि भारतीय संस्कृति के संरक्षण में मध्य प्रदेश का महत्त्वपूर्ण योगदान है। यह सुखद सहयोग है की महाकवि कालिदास ने उज्जैनी में संस्कृत नाटकों का प्रणयन किया था। विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रो.विजय कुमार मैनन कुलपति महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय उपस्थित थे।

अतिथियों का स्वागत अकादमी के प्रभारी निदेशक डॉ. सन्तोष पण्ड्या, उपनिदेशक, डॉ. योगेश्वरी फिरोजिया तथा कार्यक्रम प्रभारी अनिल बारोड़ ने किया। तत्पश्चात् यथार्थ सांस्कृतिक एवं सामाजिक संस्था, उज्जैन द्वारा श्री प्रकाश देशमुख के निर्देशन में महाकवि भास विरचित ‘‘कर्णभारम’’ की मनमोहक प्रस्तुति की गई जिसे दर्शकों द्वारा मुक्तकण्ठ से सराहा गया। कार्यक्रम का संचालन सुश्री पांखुरी वक्त जोशी ने किया।

आज होगी वंचते-परिवंचते संस्कृत नाटक की प्रस्तुति: शुक्रवार को नाट्य समारोह के समापन अवसर के मुख्य अतिथि महापौर मुकेश टटवाल होंगे। कार्यक्रम की अध्यक्षता महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं एवं वैदिक विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.विजय कुमार मेनन तथा विशिष्ट अतिथि नगर निगम आयुक्त श्री रोशनकुमार सिंह होंगे। तत्पश्चात् जनस्थान रंगमंच, नासिक द्वारा सुश्री वैदेही मुळये के निर्देशन में ‘‘वंचते-परिवंचते’’ नाटक की प्रस्तुति होगी। कार्यक्रम संयोजक अनिल बारोड़ ने संस्कृतानुरागियों से नाट्य प्रस्तुतियों के रसास्वादन का आग्रह किया है।

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