उज्जैन, अग्निपथ। विक्रम विश्वविद्यालय से विगत 9 माह से वेतन नही मिलने से परेशान कर्मचारी अब परिवार के साथ राजभवन के बाहर धरना देकर राज्यपाल को शिकायत करेंगे।
कर्मचारी ने कहा धरना देने के बाद भी हल नही निकला तो हमारे सामने आत्मदाह करने के सिवाय कुछ भी नही है। कर्मचारियों ने कहा विश्वविद्यालय की स्वीकृति पर कंपनी से वे कार्य कर रहे थे। उसका ठेका भी खत्म हो चुका। मंत्री से लेकर कुलपति और जनसुनवाई तक शिकायत की, लेकिन वेतन का भुगतान नही कर रहे है। श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति से विक्रम विश्वविद्यालय को वर्ष 2021 में विक्रम कीर्ति मंदिर हेंडओवर हुआ था। उस समय महाकाल मंदिर में कार्यरत केएसएस कंपनी के तीन सुरक्षा गार्ड और एक सफाई कर्मचारी को विश्वविद्यालय प्रशासन ने सेवाएं निरंतर रखते हुए चारों कर्मचारियों की स्वीकृति कुलपति से होने के बाद विश्वविद्यालय ने करीब 6 माह कंपनी के माध्यम से चारों कर्मचारियों को भुगतान होता था।
इसके बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने अप्रैल 2022 में बिना किसी स्वीकृति के आउटसोर्स के नाम पर करीब 20 कर्मचारी रख लिए थे। अन्य रखे गए कर्मचारियों का वेतन भी केएसएस कंपनी के माध्यम से देने के लिए फाईल बढ़ी तो वित्त अधिकारी ने शासन के नियमों का हवाला देकर आउटसोर्स कंपनी का टेंडर होने और टेंडर लेने वाली कंपनी के साथ ही विवि के वे विभाग जहां आउटसोर्स कर्मचारी रखे गए। वहां खाली पदों की जानकारी मांगी तो अधिकारी जवाब नही दे सके।
लिहाजा वित्त अधिकारी और ऑडिट विभाग ने नियम विरूद्ध भुगतान होने से वेतन की फाईल रोक दी। ऐसे में 20 कर्मचारियों के कारण केएसएस कंपनी के स्वीकृति वाले चार कर्मचारियों का वेतन भी अटक गया।
नौकरी भी गई वेतन भी नही मिला
विक्रम कीर्ति मंदिर में अक्टूबर 2022 से जून 2023 तक स्वीकृति पर कार्य करने वाले सुरक्षागार्ड बृजेश तिवारी, पप्पू चौहान, रामसिंह मालवीय और सफाई कर्मी हिमांशु खरे की 9 माह का वेतन नही मिलाद्ध वहीं पीएफ में राशि भी जमा नही हुई। वहीं महाकाल मंदिर से केएसएस कंपनी का ठेका समाप्त होने के बाद इन कर्मचारियों को भी हटा दिया। कंपनी ने भी विश्वविद्यालय से भुगतान नही होने का हवाला देकर अपने हाथ खींच लिए।
बताया गया कि एक कर्मचारी का वेतन और पीएफ मिलाकर करीब एक लाख रूपए का बकाया है। ऐसे में चार कर्मचारियों के करीब चार लाख से अधिक की राशि विश्वविद्यालय से लेना है।
जांच कराने को कहा तो हटाए कर्मचारी
विश्वविद्यालय में आउटसोर्स के नाम पर रखे गए 20 कर्मचारियों को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे है। प्रशासन विभाग के सूत्रों का कहना है कि आउटसोर्स सेवा के लिए टेंडर ही नही हुए थे। जब कोई कंपनी को ठेका ही नही दिया तो कर्मचारी कहां से आए। जाहिर है प्रशासन के अधिकारियों ने मनमर्जी से कर्मचारियों को रखकर केएसएस कंपनी के कर्मचारियों के साथ वेतन भुगतान लेने का फर्जी प्रयास किया था। वित्त अधिकारी ने फाईल पर टीप लिखकर जांच कराने की बात कही तो जिम्मेदार अधिकारियों ने भी अपने हाथ खींच लिए। बाद में रखे गए करीब 20 कर्मचारियों को भी हटा दिया।