मामला 20 वर्ष पुराना,सौतन के नाम से प्रॉक्सी चुनाव लडऩे का था आरोप
बदनावर (अल्ताफ मंसूरी)। मतदाताओं के साथ धोखाधड़ी कर चुनाव लडऩे के आरोप में दोषी पाए जाने पर पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष सीताबाई कटारिया, उनकी सौतन निर्मलाबाई कटारिया और मांगीलाल निवासी धराड़ को अपर सत्र न्यायाधीश रश्मिना चतुर्वेदी ने 3 साल के कारावास की सजा सुनाई। तीनों आरोपियों को आज जेल भेज दिया गया।
मामला 20 वर्ष पुराने नगर पंचायत चुनाव का है। तब बदनावर नपं अध्यक्ष पद के लिए तीन उम्मीदवार सीताबाई कटारिया, लक्ष्मी मकवाना और सीमा अलावा ने चुनाव लड़ा था। इनमें से सीताबाई कटारिया विजय हुईं। वे कांग्रेस की बागी उम्मीदवार थीं। उनके विरुद्ध तत्कालीन नगर कांग्रेस अध्यक्ष कोकसिंह पंवार ने कलेक्टर को शिकायत की थी कि वे सीताबाई नहीं, बल्कि निर्मलाबाई कटारिया हैं। उन्होंने अपनी सौतन सीताबाई कटारिया के नाम से चुनाव ल?कर मतदाताओं के साथ धोखाधड़ी की है। इस पर तत्कालीन कलेक्टर डॉ. राजेश राजोरा ने जांच के आदेश दिए थे। इसके लिए तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी अर्जुनसिंह डावर की अध्यक्षता में 6 अधिकारियों का दल गठित किया गया। इसमें सीताबाई कटारिया पर लगा आरोप सही पाया गया। इस आधार पर राज्य शासन ने सीताबाई कटारिया को पद से हटाने के आदेश दिए।
इस पर सीताबाई कटारिया ने हाईकोर्ट में याचिका प्रस्तुत कर शासन के आदेश को चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने राज्य शासन का आदेश निरस्त कर दिया था। तब राज्य शासन ने हाईकोर्ट की डीबी में एलपीए दायर की, लेकिन वहां से भी सीताबाई के पक्ष में फैसला आया। इस पर लंबी कानूनी लड़ाई के बाद 12 अगस्त 2003 को सीताबाई ने अध्यक्ष पद ग्रहण कर लिया। जबकि वे 28 दिसंबर 1999 को अध्यक्ष निर्वाचित हुईं थी। किंतु मामला प्रकाश में आने के बाद मजिस्टे्ट कोर्ट में आपराधिक प्रकरण चलता रहा।
शुक्रवार को आया फैसला, जेल भेजा
अतिरिक्त अपर सत्र न्यायाधीश रश्मिना चतुर्वेदी ने नगर परिषद के पूर्व अध्यक्ष द्वारा धोखाधडी से चुनाव लडने के बहुचर्चित मामले में अधीनस्थ न्यायालय द्वारा सुनाई गई सजा को बहाल रखते हुए आरोपितगण की अपील को खारिज कर दिया है। इस अपील प्रकरण में बताया था कि न्यायिक दण्डाधिकारी प्रथम श्रेणी दिनेश मीणा द्वारा 26 दिसबंर 2015 को पारित निर्णय में अपीलार्थी मांगीलाल व सीताबाई को धारा 419 व 120-बी के अपराध में दोषसिद्ध ठहराते हुए क्रमश एक वर्ष व तीन वर्ष के सश्रम कारावास तथा अर्थदंड व अपीलार्थी निर्मलाबाई को अलग अलग धाराओं में एक वर्ष व तीन वर्ष सश्रम कारावास से दंडित किया था।
इस प्रकरण में पारित निर्णय में मूल प्रश्न यह देखना था कि क्या अभियुक्त मांगीलाल, सीताबाई व निर्मलाबाई ने नगर पंचायत बदनावर के अध्यक्ष पद के चुनाव में भाग लेने हेतु निर्मलाबाई को सीताबाई के नाम से प्रतिस्थापित कर छल करते हुए आपराधिक षडयंत्र किया। अपील प्रकरण में अपीलार्थी ने सजा के निर्णय को निरस्त करने की मांग की थी।
इस पर अभियोजन पक्ष का मामला इस प्रकार था कि नगर पंचायत के अध्यक्ष के निर्वाचन में निर्मलाबाई पत्नी कैलाशचंद्र कटारिया ने सीताबाई बनक रनाम निर्देशन पत्र भरना, अध्यक्ष पद का चुनाव लडने के बारे में शिकायतकर्ता कोकसिंह पंवार की शिकायत को सही पाए जाने से अनुविभागीय अधिकारी प्रतिवेदन पर बदनावर पुलिस ने 3 जनवरी 2002 को आरोपित कैलाश पिता रणछोड कटारिया, उनकी पत्नी सीताबाई कटारिया, निर्मलाबाई कटारिया व मांगीलाल, गणपत व सुभाष राठो? के खिलाफ अपराध पंजीबद्ध किया था। विवेचना के बाद आरोपितगण को गिरफ्तार कर अभियोग पत्र प्रस्तुत किया था।
इसी मामले में मांगीलाल, सीताबाई व निर्मलाबाई को दंडित किया गया था। प्रकरण के विचारण के दौरान कैलाश तथा गणतप की मृत्यु हो गई थी व सुभाष राठौ? को उच्च न्यायालय के आदेशानुसार उन्मोचित किया जा चुका था। चुनाव में 26 दिसबंर 1999 को मतगणना होकर सीताबाई को अध्यक्ष निर्वाचित घोषित किया था। सीताबाई के स्थान पर जिस महिला ने चुनाव लडा व सीताबाई नही होकर निर्मलाबाई थी। और दोनों महिला एक ही व्यक्ति कैलाश कटारिया की पत्नी होकर सीताबाई ने अपना शपथ पत्र देकर बदनावर के वार्ड क्रमांक 6 में अपना निवास स्थान दर्शाकर अपना नाम मतदाता सूची में दर्ज करवाया था।
सीताबाई ने ही उस शपथ पत्र में निशानी अंगूठा लगाया था। बाद में सीताबाई के पति कैलाश ने दूसरी पत्नी निर्मलाबाई को चुनाव लडवाने के लिए सीताबाई के नाम से फार्म भरवाया दिया था और चुनाव प्रचार सामग्री में निर्मलाबाई का फोटो लगाकर नीचे सीताबाई का नाम लिखवा दिया था। फार्म भरने से लेकर अंतिम कार्रवाई तक निर्मलाबाई ने स्वयं को सीताबाई दर्शाया था।
न्यायाधीश ने प्रकरण का अवलोकन कर लिखा कि तीनों आरोपितों ने चुनाव के दौरान कूटरचना की व निर्वाचन प्रमाण पत्र प्राप्त किया जो गंभीर अपराध है। वह निर्वाचन जैसी महत्वपूर्ण लोकत्रांत्रिक प्रणाली व जनमानस के साथ छल किया गया। इस कारण से आरोपितगण दण्ड के मामले में दया व अनुभूति का व्यवहार किए जाने के पात्र नही है। अत: अपील निरस्त कर निर्णय की पुष्टि की जाती है। इस पर कोर्ट ने तीनों को जेल भेज दिया। उक्त जानकारी अपर लोक अभियोजक भानुप्रतापसिंह पंवार ने दी।
देश में सुर्खियों में रहा था यह बहुचर्चित मुद्दा
जब यह मामला प्रकाश में आया था तब पूरे देश मे चर्चा का विषय बना था। उस समय देश के कई टीवी चैनलों व प्रमुख अखबारो की मीडिया टीम यहां पहुंची थी।