विक्रम विश्वविद्यालय के 26 आउटसोर्स कर्मचारियों को बगैर काम वेतन देने का मामले की प्रधानमंत्री को शिकायत

कांग्रेस नेता बबलू खींची ने यूनिवर्सिटी में घोटाले का आरोप लगाया, पीएम और राज्यपाल को शिकायत

उज्जैन, अग्निपथ। विक्रम विश्वविद्यालय में लाखों रुपए का आउटसोर्स घोटाला किया जा रहा है। इसकी शिकायत कांग्रेस नेता बबलू खींची ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राज्यपाल को करते हुए जांच की मांग की है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को की गई शिकायत में आरोप लगाए गए हैं कि विश्व विद्यालय की कार्यपरिषद के सदस्यों ने पद का दुरुपयोग और भ्रष्टाचार करते हुए उनका कार्यकाल 24 अक्टूबर 2023 को समाप्त होने से पहले अध्यक्ष की अनुमति का हवाला देते हुए रेग्यूलेशन 2 के बिंदु 11 का उल्लंघन किया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि विश्वविद्यालय 26 आउट सोर्स कर्मचारियों को वेतन 70 लाख रुपए का वेतन दिए जाने का प्रयास किया जा रहा है। जबकि इन लोगों ने काम ही नहीं किया है। यह विश्वविद्यालय को चपत लगाने का प्रयास है।

खींची का कहना है कि उन्हें विश्वविद्यालय ने लिखित में सूचना के अधिकार में जानकारी दे रखी है कि विश्वविद्यालय में 27 जुलाई 2022 से कोई आउट सोर्स कर्मचारी नहीं रखा गया है। फिर इन 26 कर्मचारियों को कब और कैसे रखा गया और इनको वेतन क्यों दिया जा रहा है। यह भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा उदाहरण हैं। शिकायत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राज्यापाल से मामले की जांच करके दोषियों के खिलाफ स त कार्रवाई किए जाने की मांग की है।

विक्रम में 19 वकील लिस्टेड फिर भी नए वकील को दे रहे साढ़े 3 लाख

कांग्रेस नेता बबलू खींची ने आरोप लगाते हुए कहा कि 7 जनवरी 2022 को विधि प्रकोष्ठ की बैठक में 19 वकीलों के पैनल की पैनल बनाई गई थी। इस पैनल के वकीलों के यूनिवर्सिटी साढ़े 7 हजार रुपए मानदेय नियम के मुताबिक देती हैं। परन्तु एक वकील का नया नाम जोडक़र उसे साढ़े तीन लाख रुपए का वेतन दिए जाने का प्रयास किया जा रहा है। जो नियम के खिलाफ हैं। उन्होंने इस पूरे मामले की जांच करने की मांग की है। इस मामले में वकील अजय मिश्रा ने बिल लगाया है। उनके चर्चा की गई तो उनका कहना है कि वे एक मीटिंग में हैं। इस विषय में वे बाद में अपना पक्ष देंगे। वकील एके सेठी से उनका पक्ष जानने का प्रयास किया गया, परन्तु संपर्क नहीं हो पाया।

कार्यपरिषद के रिश्तेदारों को अतिथि विद्वान बनाकर रखने का आरोप

कांग्रेस नेता खींची ने आरोप लगाया कि कार्यपरिषद के सदस्य अपने रिश्तेदारों को नियम के खिलाफ विजिटिंग विद्यवान के रूप में रख चुके हैं। अब फिर से उनकी नियुक्ति करवाने के लिए नाम बदलकर अतिथि विद्वान के रूप में भ्रष्टाचार करके रखवाने की कोशिश कर रहे हैं। दो नियम के खिलाफ हैं। कार्य परिषद के सदस्यों का कार्यकाल 24 अक्टूबर 2023 को समाप्त हो रहा है। इसलिए वे यह गड़बड़ी करने की कोशिश कर रहे हैं। इस मामले में कार्यपरिषद सदस्य ममता बैंडवाल से संपर्क करने का प्रयास किया गया। परन्तु उन्होंने फोन रिसिव नहीं किया।

प्रोफेसर मांजू को फिर से नियम विरुद्ध रखने की कोशिश

कांग्रेस नेता खींची का आरोप है कि गंभीर अपराध में निलंबित प्रोफेसर एसके मांजू को आठ साल बाद फिर से रखने का प्रस्ताव में पास किया गया है। जबकि नियम के मुताबिक उन्हें नहीं रखा जा सकता है। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रोफेसर मांजू को लेनदेन करके बहाल करने का प्रयास किया जा रहा है। इसमें यूनिवर्सिटी के अनेक लोग शामिल हैं। अगर पीएम मोदी के निर्देश पर इन सभी मामलों की जांच होगी तो सच्चाई सामने आ जाएगी।

कांग्रेस नेता बबलू खींची ने ज्ञापन दिया है। उन्होंने जो आरोप लगाए हैं। उन्हें पूरी तरह से नहीं देख पाया हूं। परन्तु मामले की जांच कराई जा रही है। जल्द ही पूरी स्थिति सामने आ जाएगी।
-अखिलेश पांडे, कुलपति विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन

4 अक्टूबर के ईसी की बैठक में मैं शामिल नहीं हुआ था। इसलिए जो मुद्दे बाद में जोड़े गए हैं उनके विषय में मुझे जानकारी नहीं है। प्रोफेसर मांजू को लेकर भी कभी भी मेरी मौजूदगी में कोई चर्चा नहीं हुई। इसलिए 30 जून 2023 की बैठक का हवाला भी गलत दिया गया है। उस बैठक में मैं था, तब कोई चर्चा नहीं हुई थी।
-सचिव दवे, कार्यपरिषद सदस्य विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन

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