प्रदेश का तीसरा सबसे बड़ा अस्पताल बीमार, निर्माण के चलते डे्रेनज सिस्टम चोक

उज्जैन, अग्निपथ। प्रदेश का तीसरा और संभाग का सबसे बड़े अस्पताल की हालत बीमार है। यहां पर बेडों की हालत खस्ता तो है ही इसके साथ ही इस पर बिछाये जाने वाली चादरें भी रंगों के हिसाब से नहीं बिछाई जा रही हैं। इस सबका दोषी कौन है….यही सवाल सभी के मन में उपरोक्त लाइन पढक़र कौंध रहा होगा। वार्ड से डिमांड होने के बाद भी इस पर गौर नहीं किया गया और हालत बद से बदत्तर होती गई।

कुछ दिन पहले जिला अस्पताल के वार्ड में फटे हुए बेड का मुद्दा जोरशोर से उठा था। इसी को लेकर अस्पताल प्रबंधन ने 10 बेड का डिमांड पत्र भेजा है। अब नये बेड आने के बाद फटे हुए बेड वार्डों से हटा लिये जायेंगे। हालांकि पूरे अस्पताल में वर्षों से व्यवस्था चरमराई हुई है। वर्तमान में इसकी स्थिति कुछ ठीक होने लगी है, लेकिन इसमें समय लगेगा। वार्डों में बेडशीट की कमी बनी हुई है। शासन ने प्रत्येक दिन के हिसाब से बेडशीट के रंग तय किये हुए हैं। लेकिन वर्षों पूर्व दिये गये इस आदेश का पालन जिला अस्पताल में नहीं किया जा रहा है।

आदेश के अनुसार बेडशीट तो सफेद रंग ही रहेगी लेकिन इसके आसपास की बार्डर अलग अलग रंगों में होनी चाहिये। लेकिन यहां रंग की चादरें तो ठीक बेडशीट ही वार्डों में स्टोर से डिमांड करने के बावजूद उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं। वार्ड की इंचार्ज इसके लिये डिमांड नोटशीट तो तेज रही है, लेकिन स्टोर वाले इस पर संज्ञान नहीं ले रहे हैं।

बेड-बेडशीट के अलावा अन्य चीजों की भी कमी

ऐसा नहीं है कि जिला अस्पताल में केवल बेड और बेडशीट की ही कमी हो गई हो। इनके अलावा पीलो कवर, बेड साइड लॉकर, आईवी स्टैंड, वार्ड के दरवाजे खिड़कियां, डे्रेनेज लाइन चोक, लेटबॉथ चोक के अलावा विद्युत फिटिंग भी अस्त व्यस्त हो रही है। हालांकि वर्तमान में आरएमओ के पद पर पदस्थ डॉ. नीतराज गौड़ द्वारा व्यवस्थाओं के सुचारू संचालन के लिये भरसक प्रयास किये जा रहे हैं, लेकिन पहले से ही बिगड़ी हुई व्यवस्था एकदम से ठीक होने से तो रही।

वहीं सहायक अस्पताल प्रबंधक हिमांगी चौहान की अभी नई पदस्थापना हुई है। इनको भी पूरी व्यवस्था को समझने में एक दो साल तो लग ही जायेंगे, तब जाकर जिला अस्पताल की व्यवस्था सुचारू हो पायेगी। गौरतलब रहे कि स्वास्थ्य विभाग ने प्रत्येक डिस्ट्रिक्ट और बड़े अस्पतालों में सहायक अस्पताल प्रबंधक के नाम से एक नये पद की पदस्थापना की है। ताकि यहां की व्यवस्था डॉक्टर्स की जगह अन्य कोई दूसरा व्यक्ति संभाल सके।

वार्ड में फटे हुए बेड की समस्या को दूर करने के लिये 10 बेड का डिमांड पत्र भेजा गया है।

– डॉ. नीतिराज गौड़, आरएमओ जिला अस्पताल

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