खाद की बोरी पर प्रधानमंत्री मोदी का फोटो, आचार संहिता में व्यापारियों की परेशानी का सबब
बडऩगर, (अजय राठौड़), अग्निपथ। वर्तमान में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने जा रहे है। जिनके लिए मतदान की तारीखे भी तय हो गई है। ऐसे में चुनाव आयोग द्वारा आदर्श आचार सहिंता लागू की जा चुकी है। जिसका सख्ती से पालन करवाया जा रहा है। आचार संहिता का पहला निशाना संपत्ती विरूपण होता है जिसमें सार्वजनिक स्थानो पर राजनीति से संबंधित व किसी दल के नेता आदि जो चुनाव को प्रभावित करते है। उनके फोटो का भी प्रदर्शन किसी के द्वारा नही किया जा सकता है।
यदि ऐसा कोई करता है तो उस पर नियमानुसार आचार संहिता के उल्लंघन की कार्यवाही की जाती है। ऐसे में चुनावी आचार संहिता के उल्लंघन की कार्यवाही का डर खाद विक्रेता व्यापारियों की परेशानियों का सबब बन कर सामने आ रहा है। जिसमें व्यापारियों को यूरिया बेचने मेें परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। क्योंकि यूरिया खाद की बोरियों पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की फोटो छपी हूई है और आचार सहिंता के डर से इस फोटो को हटाने के लिए कालिख पोती जा कर खाद विक्रय किया जा रहा है।
राजनीतिक व्यक्ति की तस्वीर के बिना उर्वरक बैग विक्रय किया जाए – सचिवालय
चुनाव आयोग द्वारा रसायन और उर्वरक मंत्रालय, उर्वरक विभाग को पत्र लिखकर कहा गया कि सरकार द्वारा लगाए गए होर्डिंग्स, विज्ञापनों आदि किसी जीवित राजनीतिक पदाधिकारी या राजनीतिक दल की उपलब्धियों को प्रदर्शित करने की कोशिश करते हैं या उनका दावा करते हैं और जिन पर उनकी तस्वीरें या नाम या पार्टी का प्रतीक है, उन्हें तुरंत हटा दिया जाना चाहिए क्योंकि कोई भी राजनीतिक पदाधिकारी या राजनीतिक दल सार्वजनिक संसाधनों का उपयोग और स्वयं की प्रशंसा करने या अपनी या किसी राजनीतिक नेता की व्यक्तिगत छवि को बढ़ाने के लिए सार्वजनिक खजाने से व्यय नही कर सकता है।
इस तरह के होर्डिंग्स आदि सार्वजनिक लागत पर उनके व्यक्तिगत / पार्टी चुनाव अभियान के लिए हैं। इसलिए जिन क्षेत्रों में आदर्श आचार संहिता लागू है। वहां किसी भी राजनीतिक व्यक्ति की तस्वीर के बिना उर्वरक बैग या किसी अन्य माल के स्टॉक का उपयोग किया जाए।
प्रधानमंत्री का फोटो लाल, पिला, काला कर बेचेंगे खाद
उपरोक्त आदेश के तहत किसान कल्याण व कृषि ने राज्य समन्वयक, प्रबंध संचालक उर्वरक प्रदाता कम्पनी को क्षेत्र में आचार संहिता लागु होने के चलते होर्डिंग्स, विज्ञापन आदि जो किसी राजनीतिक पदाधिकारी या राजनीतिक दल की उपलब्धियों को प्रदर्शित करने, प्रयास करने या उनका दावा करते हैं और जिन पर उनकी तस्वीरें या नाम या पार्टी का प्रतीक है, उन्हें तुरंत हटा दिया जाने का हवाला दिया है।
ऐसे में खाद की समस्त बोरियो पर प्रधानमंत्री के फोटो एवं उनके नाम पर कालिख पोतने के बाद ही उस खाद को किसानों को दिया जा सकता है। जो बड़ी परेशानी का सबब है क्योकि यह खाद की बोरी एक दो नही लाखो में होगी।
हर बार उठती है नियम के लिए आवाज
जब भी चुनाव आते है आचार संहिता के तहत शासकीय व सार्वजनिक संपत्तियो पर इस तरह से होर्डिंग्स, विज्ञापन, शिलालेख हटाये जाने या उन्हे ढके जाने को लेकर लाखो रूपए खर्च किये जाते है। जागरूक नागरिको का कहना है शासकीय या सार्वजनिक स्थानो पर सरकार के लाखो करोड़ो रूपये खर्च कर पहले तो योजनाओ, लोकार्पण, शुभारंभ, भुमिपुजन आदि के बेनर , होर्डिंग्स, शिला लेख आदि लगाये जाते है। फिर चुनाव आने पर इन पर कालिख पोतने के लिए लाखों खर्च किये जाते है जो जनता की गाड़ी कमाई के पैसो का दुरुपयोग है। नागरिकों का कहना है कि इस बारे में सरकार व चुनाव आयोग को इस प्रकार से नियम बनाना चाहिए कि इन शिलालेख को ढकने या कालिख पोतने जरूरत न पड़े।