उज्जैन, अग्निपथ। भागती दौड़ती जिंदगी में आज का मानव अपने दिल और दिमाग के बीच का संतुलन खो बैठा है। जिसके कारण वह अनेक प्रकार की समस्याओं में खुद को उलझा हुआ महसूस कर रहे हैं। इन समस्याओं से छुटकारे के लिए आत्मिक शक्ति को जागरूक करना होगा, हर प्रकार के प्रकृति व स्वभाव को स्वीकार करना होगा। आध्यात्मिकता की राह वाह जिंदगी वाह है।
उक्त बात ऋषिनगर स्थित प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के प्रांगण में शारदीय नवरात्रि के उपलक्ष्य में 3 दिवसीय ज्ञान वर्षा प्रवचन माला के द्वितीय सत्र में ‘उलझनों से उजाले की ओर’ विषय पर मुख्य वक्ता ब्रह्माकुमारी रूबी बहन ने कही। कार्यक्रम का शुभारंभ मोटिवेशनल स्पीकर डॉ. ऋषि दुबे, नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. अर्पित ऐरन, दंत रोग विशेषज्ञ डॉ. नेहा ऐरन, ब्रह्माकुमारी उषा दीदी, मंजू दीदी, रूबी बहन द्वारा दीप प्रज्जवलन कर किया गया।
संबोधित करते हुए राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी उषा दीदी ने कहा कि वर्तमान समय में बच्चे से लेकर बुजुर्ग किसी न किसी प्रकार के उलझनों में उलझे हुए हैं तो इस उलझन से निजात पाने के लिए स्वयं की पहचान जरूरी है कि मैं कौन हूं। अपने आपके बारे में जानिये तो ही अपने परमात्मा के बारे में जानेंगे। उसके लिए अध्यात्म की राह पर चलना होगा। तभी हम अपने जीवन में आने वाली उलझनों को परमात्मा शक्ति से सुलझा पायेंगे।
डॉ. ऋषि दुबे ने कहा कि उलझन से उजाले की ओर जाने के हमारे जीवन में सतगुरू की अहम भूमिका होती है। जब हम सतगुरू से जुड़े रहते हैं तो उनकी शक्तियां हमें निरंतर मिलती रहती हें और सतगुरू का रूप कोई भी हो सकता है चाहे हमारी माता हो या पिता या गुरू। संचालन ब्रह्मकुमारी मीना बहन ने किया। इस कार्यक्रम में अनेक उज्जैनवासी लाभान्वित हुए।