भाजपा-कांग्रेस के अपने टिकट वितरण से नाराज, बागी होकर चुनाव लडऩे का शंखनाद!

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रूठों को मनाने में संगठन की भूमिका कम, अब बड़े नेताओं पर नजर

धार, (आशीष यादव) अग्निपथ। इस बार के विधानसभा चुनाव में टिकट बंटवारे को लेकर दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों के नेताओं में आक्रोश है। ऐसे में पार्टी से बागी होकर निर्दलीय चुनाव लडऩे वालों के चेहरे भी सामने आ रहे हैं। निर्दलियों ने इस बार जिले में अपनी ताल ठोकी है। बता दें कि कुछ निर्दलीय ऐसे मजबूत दावेदार है जो पार्टी के प्रत्याशियों की जड़ें तक हिला सकते हैं।

जिले में विधानसभा चुनावों का रंग चढ़ चुका है। दोनों ही पार्टी अपने-अपने प्रत्याशी तय कर चुकी है। अब नामांकन का सिलसिला शुरू होगा। लेकिन नाम वापसी के पहले अपनों को मनाने की भी चुनौती से निपटना होगा। तभी जीत की दहलीज तक पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी पहुंच सकेंगे। बात करें कांग्रेस की तो धार जिले में तीन विधानसभा सीटों पर कांग्रेस के अपने ही बगावत पर उतर आए है। टिकट वितरण से नाराज ये नेता बगावत का शंखनाद कर चुके है। आने वाले दिनों में ये नेता नामांकन फार्म जमा करने की तैयारी में जुट गए है। साथ ही अपने-अपने कार्यकर्ताओं की भी टोलियां मजबूत कर रहे है। ताकि पार्टी को सबक सिखाया जा सके।

इन अपनों को मनाने में कांग्रेस संगठन की कुछ खास भूमिका अब तक नजर नहीं आई है। अब इन अपनों को मनाने का पूरा जिम्मा पार्टी के बड़े नेताओं को ही संभालना होगा। तभी विधानसभा चुनाव में इन तीन सीटों पर कांग्रेस मजबूती के साथ चुनाव लडऩे की स्थिति में पहुंच सकेगी।

जिले की सात में चार सीटों पर फिलहाल कांग्रेस के लिए चुनौतियां नहीं है। लेकिन तीन सीट ऐसी है, जहां पर कांग्रेस के अपने नेता ही खुलकर मैदान में आने का शंखनाद कर चुके है। इनमें धार और धरमपुरी व बदनावर में कांग्रेस के तीन बड़े नेताओं की बगावत कांग्रेस के लिए दिक्कत खड़ी कर सकती है। लेकिन धार, धरमपुरी बदनावर में यह विरोध पार्टी को नुकसान पहुंचा सकता है। जबकि मनावर में भितरघात की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है।

भाजपा के लिए धार भी इस बार आसान रहा दिखाई देते हुए नजर नहीं आ रही है। धार विधानसभा सीट पार्टी का गढ़ रही है मगर इस बार पूर्व जिलाध्यक्ष राजीव यादव निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरने वाले हैं। लगातार एक ही परिवार के व्यक्ति को टिकट दिए जाने से नाराज हैं।

इस बार आदिवासी सीट पर मनावर से रंजना बघेल का टिकट काटकर पार्टी वहां से युवा चेहरा शिवराम कन्नौज को प्रत्याशी बनाया है क्योंकि रंजना बघेल बीजेपी की आदिवासी नेत्री में से एक कद्दावर नेता मानी जाती है जो कि पूर्व में कांग्रेस की उपमुख्यमंत्री जमुना देवी को हराकर आदिवासी क्षेत्र में भाजपा का झंडा लहराया था। टिकट वितरण को लेकर उन्होंने कहीं बड़े नेताओं पर आरोप भी लगाए। अगर रंजना बघेल मनावर से निर्दलीय चुनाव लड़ती हैं तो बीजेपी के लिए बड़ी मुसीबत बनकर सामने आएगी। वहीं रंजना बघेल का प्रभाव आसपास की 5 से 6 सीटों पर है।

धार विधानसभा सीट

प्रदेश कांग्रेस सचिव कुलदीपसिंह बुंदेला धार विधानसभा से दावेदारी कर रहे थे। लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं देते हुए प्रभा गौतम को टिकट दिया है। टिकट कटने से नाराज बुंदेला अब बगावत पर उतर आए है। उन्होंने शनिवार को अपने बंगले पर कार्यकर्ताओं के साथ बड़ी बैठक की। इस बैठक के बाद उन्होंने मीडिया के सामने चुनाव लडऩे की घोषणा कर दी। इसमें उन्होंने साफ किया है कि कोई भी प्रदेश स्तरीय नेता आ जाए लेकिन इस बार चुनाव मैदान से पीछे नहीं हटेंगे।

हालांकि बीते तीन विधानसभा चुनाव में भी लगातार वे पार्टी से टिकट की मांग करते आए है। लेकिन पार्टी से टिकट नहीं मिल पाया। ऐसे में तीनों ही विधानसभा चुनावों में जब कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशी हारे तो भितरघात का आरोप बुंदेला पर ही लगा। इस बार नाम वापसी के बाद भी यदि बुंदेला चुनाव मैदान में रहते है तो कांग्रेस के लिए भितरघात की परेशानी खत्म हो जाएगी। लेकिन मुकाबला त्रिकोणीय होने से जीत-हार दिलचस्प हो जाएगी।

धरमपुरी सीट

इसी तरह धरमपुरी विधानसभा सीट पर भी बगावत के बादल छाए हुए हैं। कांग्रेस विधायक होने के बाद भी मैदानी कार्यकर्ताओं की उपेक्षा और मूलभूत सुविधाओं की कमी के कारण टिकट की दौड़ में धरमपुरी विधायक पांचीलाल मेड़ा शुरूआत में काफी पिछड़े हुए थे। लेकिन ऐनवक्त पर उन्हें पार्टी ने टिकट देकर प्रत्याशी बना दिया। इसके बाद धरमपुरी सीट पर विरोध बढ़ गया।

जिला पंचायत सदस्य राजू बेन चौहान यहां से टिकट मांग रही थी। लेकिन पार्टी ने उन्हें दरकिनार किया। अब वे निर्दलीय चुनाव लडऩे के लिए तैयार है। राजू बेन चौहान से बातचीत के दौरान निर्दलीय चुनाव लडऩे की घोषणा करते हुए कहा कि क्षेत्र में मूलभूत सुविधाएं नहीं है। शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार प्रमुख मुद्दे भी है और परेशानी भी है। इन्हें दूर करने के लिए मैं चुनाव मैदान में उतरूंगी। बता दें कि राजू बेन चौहान ने जिला पंचायत चुनाव निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर लडक़र जीत दर्ज की थी।

बदनावर विधानसभा

बदनावर विधानसभा सीट पर भी निर्दलीय के चुनाव लडऩे की स्थिति बन रही है। यहां से कांग्रेस के अभिषेक सिंह टिंकू बन्ना चुनाव लडऩे की घोषणा कर चुके है। दरअसल बदनावर उपचुनाव में पार्टी ने टिंकू बना को टिकट दिया था। लेकिन कुछ ही घंटों के बाद टिंकू बना का टिकट कट गया और उपचुनाव में पार्टी ने वरिष्ठ कांग्रेस नेता कमल पटेल को उम्मीदवार बना दिया था। इस बार टिंकू बन्ना कांग्रेस से टिकट मांग रहे थे। लेकिन टिकट की रेस में स्थिति कमजोर होने के कारण वे पैनल से ही बाहर हो गए। इससे नाराज अब टिंकू बन्ना निर्दलीय चुनाव लडऩे की घोषणा की तैयारी कर रहे है।

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