– अर्जुन सिंह चंदेल
उज्जैन दक्षिण विधानसभा के इस बार के चुनावों की बात आगे बढ़ाते हैं। इस बार काँग्रेस के लिये फायदेमंद बात यह है कि पिछले चुनावों की तुलना में सेबोटेज बहुत कम होगा। काँग्रेस प्रत्याशी का चेहरा नया है जिसे उसके पिता स्वर्गीय प्रेमनारायण की जनमानस के बीच अच्छी छवि का लाभ मिलेगा, साथ ही सहानुभूति का भी। पूर्व पार्षद चेतन यादव शिक्षित होकर मृदुभाषी भी है।
काँग्रेस के पक्ष में दो ही बातें सकारात्मक है बाकी सब नकारात्मक। स्वच्छ छवि का प्रत्याशी होना और दूसरी बात भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी मोहन यादव की मदाताओं के दिलों दिमाग में खराब छवि। बाकी मैदानी तौर पर देखें तो काँग्रेस संगठन मृतप्राय: है। चुनाव प्रबंधन में भी भारतीय जनता पार्टी काँग्रेस की तुलना में काफी आगे है। भारतीय जनता पार्टी का कार्यकर्ता जहाँ समर्पण भाव से कार्य करता है और मतदान के दिन भाजपा कार्यकर्ताओं की मेहनत काबिले तारीफ रहती है। दूसरी और काँग्रेस कार्यकर्ता सिर्फ कागजों पर ही दिखता है मैदान पर नहीं।
भारतीय जनता पार्टी प्रत्याशी मोहन यादव जी धनबल और बाहुबल में काफी मजबूत हैं। सम्पत्ति के मामले में प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी पीछे छोड़ चुके हैं। अकूत धन सम्पदा के मालिक मोहन जी और उनके परिजनों के पास उज्जैन से जाने वाले हर मार्ग पर जमीनें, शराब की दुकानें, खदाने, नर्सिंग होम्स सब कुछ है।
बीते 5 वर्षों में जितनी सम्पत्ति मोहन जी ने अर्जित की है वह सिर्फ ‘विकास पुरुष’ ही कर सकता है। कुशाग्र बुद्धि मोहन जी ने धन सम्पदा के साथ ही दुश्मन भी काफी बना लिये हैं। दक्षिण विधानसभा के हर चौराहे पर उनसे प्रताडि़त आदमी मिल ही जायेगा जो घात लगाकर बैठा है कि कब अवसर मिले और वह सबब सिखाये। बीते वर्ष हुए नगर सरकार के पार्षद के चुनाव में विधायक और मंत्री होने के कारण मोहन जी ने वर्षों से भारतीय जनता पार्टी का कार्य कर रहे अनेक पूर्व पार्षदों के द्वेषतावश टिकट करवा दिये जिसके परिणाम उन्हें चुनाव प्रचार के दौरान अनुभव हो रहा होगा।
सोश्यल मीडिया पर भी एक वीडियो बहुत वायरल हो रहा है जिसमें भाजपा प्रत्याशी किसी मतदाता को माँ-बहन की गाली देते हुए उसे निपटाने की धमकी दे रहे हैं। वहीं जमीनों के खेल में भी कई लोग उनकी ज्यादती के शिकार हो चुके हैं। बैरवा, ब्राह्मण, राजपूत, सिंधी समाज के अधिकांश मतदाता उनकी कार्यशैली से नाखुश है। तीन बत्ती चौराहे पर गगनचुंबी नर्सिंग होम जो सारे नियम-कायदे कानूनों को धता बताते हुए दक्षिण विधानसभा के मतदाताओं पर अट्टहास करता हुआ नजर आता है।
आने वाले समय में यह नर्सिंग होम मोहन जी के लिये मुसीबत का कारण बनना तय है। दक्षिण का मतदाता मौन है पर यह तय है कि मोहन जी के दुश्मनों की फेहरिस्त इस बार बहुत लंबी है। मतदाताओं के अलावा दक्षिण क्षेत्र के भाजपा नेता व कार्यकर्ता भी उनकी कार्यशैली से नाराज है और वह सभी दक्षिण की जगह उत्तर विधानसभा में पार्टी का कार्य कर रहे हैं। पार्टी के कर्मठ कार्यकर्ताओं का कहना है कि मोहन जी को हमारी जरूरत ही नहीं है उनकी व्यक्तिगत टीम ही पर्याप्त है। पार्टी
कार्यकर्ताओं के अभाव के बावजूद मोहन जीका पूरा परिवार शिद्दत के साथ प्रचार में जुटा हुआ है। राजनीति के जादूगर मोहन जी के पीछे ‘नारायण’ का हाथ होना उन्हें शक्तिशाली बनाता है। बीते चुनावों में भी इस शहर के लोगों ने ‘नारायण’ को चाणक्य के रूप में देखा था।
चुनाव दिलचस्प है इस बार का यदि दक्षिण के मतदाताओं ने मन बना लिया कि इस बार भाजपा प्रत्याशी को हराना है तो वह जटिया जी के संसदीय चुनाव की तरह विकल्प नहीं देखेगा फिर जीतने वाला कोई भी हो।
17 नवंबर को मतदान के दिन प्रत्याशियों की व्यक्तिगत छवि के साथ चुनाव प्रबंधन भी परिणाम को प्रभावित करेगा।