रियासती दौर में राज करने राजपरिवारों से जुडे दिग्विजयसिंह आज की राजनीति में भी ‘राजा’ कहलाने का हक रखते हैं। लंबे समय तक केंद्र की राजनीति के बाद करीब दस वर्षों तक प्रदेश में मुख्यमंत्री के रूप में सत्ता संभाल चुके दिग्विजयसिंह ने लंबे समय तक न तो चुनाव लड़ा और न ही कोई लाभ का पद लिया।
इसके बाद भी समर्थकों की लंबी फौज बरकरार रखने का हुनर दिग्गी राजा के पास आज भी है। दिग्विजयसिंह उज्जैन में रहे और अपने समर्थकों सहित कांग्रेस के प्रमुख कर्ता-धर्ताओं से मेल-मुलाकात की, मृत्यु उपरांत गमगीन परिवारों में सांत्वना देने भी पहुंचे। वे जहां-जहां भी गए समर्थकों की भीड़ लगातार उनके साथ बनी रही।
इस दौरान उन्होंने कई कांग्रेसियों को नगर निगम चुनाव के आश्वासन दिए, किसी को एकजुटता बनाए रखने की सीख दी तो कुछ-कुछ को डांट भी दिया। वरिष्ठ सदस्य की तरह कार्यकर्ताओं ने उनके गुस्से को भी झेला और उनके साथ बने रहे। दिग्वियजसिंह आज भी कांग्रेस में किसी मलाइदार पद पर नहीं है, लेकिन समर्थकों का विश्वास उन्हें आज भी राजा की तरह की मान-सम्मान दे रहा है। राजा का जो जलवा कांग्रेस में आज बना हुआ है, वो अन्य कांग्रेसी में देखने को नहीं मिलता।