एचडीयू-पीआईसीयू और जनरल वार्ड में स्टाफ की कमी से ताले लगे
उज्जैन, अग्निपथ। पूरे मप्र में स्वास्थ्य विभाग के अस्पतालों की व्यवस्थाएं चरमराई हुई हैं। इसका कारण स्टाफ की कमी होना सामने आया है। वर्षों से इसी तरह प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्थाएं लडख़ड़ाकर चल रही हैं। स्वास्थ्य विभाग द्वारा अस्पतालों का निर्माण पर निर्माण किया जा रहा है। लेकिन स्टाफ की व्यवस्थाएं नहीं जुटाई जा रही हैं।
अब माधवनगर में 100 बेड का हॉस्पिटल बनाये जाने की तैयारी की जा रही है। लेकिन यहां के दो वार्डों को अभी तक स्टाफ की कमी के कारण शुरू नहीं किया जा सका है। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि इन अस्पतालों े बन जाने के बाद जनता को इससे क्या लाभ मिलेगा?
माधव नगर अस्पताल में करीब 28 करोड़ की लागत से पुरानी बिल्डिंग पर ही दो मंजिल का निर्माण होगा। इसकी डीपीआर के लिए पिछले दिनों निर्माण विभाग पीआईयू प्रोजेक्ट इ प्लीमेंट यूनिट के इंजीनियर्स व टीम अस्पताल पहुंची और सर्वे कार्य शुरू किया था। स्वास्थ्य विभाग की ओर से माधवनगर व तराना के सरकारी अस्पताल में 100-100 बेड के अस्पताल स्वीकृत हुए हैं।
माधवनगर अस्पताल कैंपस में जमीन उपलब्ध नहीं है, ऐसे में यहां पर अस्पताल की पुरानी बिल्डिंग पर ही 100 बेड का अस्पताल बनाया जाएगा। इसमें करीब 20 करोड़ का सिविल वर्क होगा और करीब 7-8 करोड़ के उपकरण लगाए जाएंगे। वर्तमान में जी-प्लस वन बिल्डिंग है, जिसके ऊपर की एक मंजिल पर 50 व दूसरी मंजिल पर 50 बेड का अस्पताल तैयार किया जाएगा।
उद्घाटन के बाद से ही ताले लगे
8 मई को माधव नगर अस्पताल में 12 बेड का पीआईसीयू और 10 बेड के एचडीयू और 48 बेड के जनरल वार्ड का उदघाटन बड़े ही जोरशोर से किया गया था। लेकिन इसके बाद इन वार्डों में ताले लगा दिये गये। यहां पर लगाये गये बेड़ फुली आटोमेटिक हैं। जिनकी कीमत 1 लाख रुपये है। यहां पर भी स्टाफ नहीं भेजा गया, लिहाजा 6 माह बाद भी इनको शुरू नहीं किया जा सका है।
अस्पताल प्रभारी डॉ. एचपी सोनानिया सिविल सर्जन को 100 प्रशिक्षित स्टाफ का मांगपत्र दे चुके हैं। लेकिन इतने माह बीत जाने के बाद भी स्टाफ की व्यवस्था नहंी हो पाई है। ऐसे में यदि नया अस्पताल का निर्माण हो जाता है, तो इस पर भी ताले लग जायेंगे।
150 बेड के दो यूनिट का निर्माण कार्य प्रगति पर
जिला अस्पताल के पीछे 100 बेड का सुपर स्पेशलिटी यूनिट का निर्माण कार्य चल रहा है। जिसके चलते इंदौर रैफर होने वाले मरीजों को काफी सहूलियत उज्जैन में ही मिल जायेगी। साथ ही पुराना आरएमओ कार्यालय के पीछे की जमीन पर 50 बेड की क्रिटिकल केयर यूनिट बनाई जा रही है। इस तरह से यहां पर भी स्वास्थ्य विभाग को स्टाफ की व्यवस्था करना होगी। लेकिन शासन की ओर से इस ओर ध्यान नहीं दिया जाकर केवल अस्पतालों और यूनिटों का निर्माण कार्य कराया जा रहा है और स्टाफ की भर्ती पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। ऐसे में कुछ दिनों बाद यह यूनिट खंडहर में तब्दील हो जायें तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।