शाजापुर में निभाई जाएगी 270 वर्ष प्राचीन परंपरा
शाजापुर, अग्निपथ। दीपावली के बाद आने वाली कार्तिक दशमी २२ नवंबर को शहर में कंस वधोत्सव का आयोजन किया जाएगा। इसके लिए तैयारिंयां हो चुकी है और कंस वध के लिए कंस का 10 फीट ऊंचा पुतला भी सिंहासन पर बैठाया चुका है। शहर में इस परंपरा को करीब 270 वर्ष हो चुके हैं।
कंस वधोत्सव समिति के संयोजक तुलसीराम भावसार ने बताया कि मथुरा के बाद नगर में इस आयोजन को भव्य तरीके से मनाया जाता है। कंस वध के पूर्व रात 8.30 बजे श्री बालवीर हनुमान मंदिर परिसर से चल समारोह शुरू होगा। जो शहर के मुख्य मार्गों से होता हुआ रात करीब 11 बजे कंस चौराहे पर पहुंचेगा जहां वाकयुद्ध के बाद रात 12 बजे श्रीकृष्ण बने कलाकारों द्वारा कंस का वध किया जाएगा। इसके बाद गवली समाज के युवाओं द्वारा पुतले को लाठियों से पीटते हुए ले जाया जाएगा।
अत्याचार पर जीत का प्रतीक पर्व
कंस वध की परंपरा अन्याय व अत्याचार पर जीत के प्रतीक के रूप में मनाई जाती है। संयोजक भावसार ने बताया कि गोवर्धननाथ मंदिर के मुखिया मोतीराम मेहता ने करीब 270 वर्ष पूर्व मथुरा में कंस वधोत्सव कार्यक्रम देखा और फिर शाजापुर में वैष्णवजन को अनूठे आयोजन के बारे में बताया। इसके बाद से ही परंपरा की शुरुआत हो गई। करीब 100 वर्ष तक मंदिर में ही आयोजन होता रहा किंतु जगह की कमी के चलते इसे नगर के चौराह पर जिसे अब कंस चौराह नाम दिया जा चुका है पर किया जाने लगा। जिसमें शहर ही नहीं बल्कि शाजापुर जिले सहित आसपास के जिलों के लोग भी इसमें शामिल होते हैं
गलियों से निकलती है देव-दानवों की टोलियां
कंस वध से पहले पारंपरिक वेशभूषा में सजे-धजे देव और दानवों की टोलियां शहर की गलियों से निकलती है। जहां राक्षस हुंकार भरते है तो वहीं देवों की टोली भी वाक्युद्ध में पीछे नहीं रहती है। आयोजन को देखने के लिए शाजापुर समेत बाहरी जिलों से भी लोग शामिल होते हैं।