नगर में निभाई 270 वर्ष पुरानी परंपरा के तहत किया कंस वध
शाजापुर, अग्निपथ। अरे कन्हैया सुन…करते हैं लूट मार हम सिपाही कंस के…करते हैं भ्रष्टाचार हम सिपाही कंस के…खा जाएंगे तुझे कच्चा और डकार तक नहीं लेंगे…ऐसे खतरनाक हैं हम सिपाही कंस के…। अरे मामा…ग्वालों के पीछे कितने ही लगा दिया जाए जोर, किंतु तुझसे ना मारा जाएगा ये माखन चोर।
अरे कन्हैया… अब तक तो सोया था मखमल के गदेलों पर…पल भर में तुझे कर दूंगा मिट्टी के ठेलों पर। अरे ओ मामा…हम काल पुरुष है शत्रुंजयी, है काल हमारे हाथों में, अंत तेरा आ गया है अब मत उलझा बातों में।
अरे कान्हा…जब हम हमला करेंगे तो सितारे टूट जाएंगे जमीन पर जलजला होगा…रहेगा नाम सिर्फ ‘चाणूर’ का बाकि सब फना होगा। अरे मामाजी…मनमोहन नाम है मेरा, चितचोर भी कहलाता हूं, तलवारों की बातें करते हों, मैं नजर से मार गिराता हूं।
ये उस वाक्युद्ध के अंश है जो बुधवार रात को नगर की सडक़ों पर भगवान श्रीकृष्ण और कंस के दरबारियों के बीच हुआ। नगर में बुधवार को 270 वर्ष पुरानी ऐतिहासिक परंपरा के तहत कंस वधोत्सव का आयोजन किया गया। जिसमें रात करीब 9 बजे बालवीर हनुमान मंदिर से देव और दानवों का रूप धरे कलाकारों का चल समारोह निकाला गया। पूरे रास्ते राक्षस बने कलकार अट्टाहास करते हुए अपने-अपने रथ पर सवार थे, वहीं भगवान श्रीकृष्ण, बलराम, धनसुख, मनसुखा बने कलाकार अपनी मुस्कुराहट से लोगों का मन मोह रहे थे।
गत वर्ष की तरह इस बार भी कंस वधोत्सव पर नगर में तीन स्थानों पर देव-दानवों के बीच वाक्युद्ध हुआ। इसमें गवली मोहल्ला, आजाद चौक और सोमवारिया बाजार शामिल है। बालवीर मंदिर से शुरू हुआ चल समारोह सोमवारिया बाजार, मगरिया, बस स्टैंड, नई सडक़, आजाद चौक होते हुए कंस चौराहा पर पहुंचा। कंस वधोत्सव समिति संयोजक तुलसीराम भावसार, समिति के पदाधिकारी अजय उदासी और संजय शर्मा आदि ने कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत किया।
रात 12 बजे हुआ कंस वध
नगर में चल समारोह के पश्चात रात करीब 11.45 बजे कंस चौराहा पहुंचे गवली समाजजनों का कंस वधोत्सव समिति द्वारा स्वागत किया गया। इसके बाद श्रीकृष्ण बने कलाकार ने कंस के पुतले का पूजन कर मंच से नीचे पटक दिया। जिसे गवली समाज के लोग लाठी-डंडे से पीटते हुए अपने साथ ले गए। कार्यक्रम के पहले रात को पुलिस ने कंस चौराहा पहुंचकर और समिति संयोजक सहित अन्य से पूरे कार्यक्रम की जानकारी ली।
इन्होंने निभाया देव और दानवों का किरदार
कंस वधोत्सव कार्यक्रम में भगवान श्रीकृष्ण के रूप में ऋषभ भट्ट, बलराम के रूप में राजकुमार पांडे, सहित धनसुखा, मनसुखा व अन्य मंडली के रूप में कलाकार उपस्थित थे। इसी तरह कंस की सेना में मुख्य रूप से करीब 20 वर्ष से राक्षस का पात्र निभा रहे विलेश व्यास सेनापति की भूमिका में थे। व्यास द्वारा स्वयं के तैयार किए संवाद के माध्यम से वर्तमान घटनाओं पर कटाक्ष करते हुए शहर की समस्याओं पर भी लोगों का ध्यानाकर्षित कराया। इसके अतिरिक्त राक्षसों की सेना में महेंद्र पंवार, नवीन वशिष्ठ, कमल भावसार, हजारीलाल, राजेश जखड़ी आदि शामिल रहे।