मिशन संचालक स्वास्थ्य ने अस्पताल संचालकों को तैयारियां रखने के निर्देश दिये
उज्जैन, अग्निपथ। चीन में फैल रहे इन्फ्लूएंजा लू और निमोनिया को लेकर मिशन संचालक स्वास्थ्य सेवाएं मप्र ने अलर्ट जारी किया है, जिसमें उज्जैन सहित सभी जिलों के अस्पतालों को निर्देश दिए गए हैं। ऐसे बीमार बच्चों की अस्पतालों से रिपोर्ट मांगी है। प्रदेश के सरकारी और निजी अस्पतालों में माइक्रोप्लाज्मा निमोनिया, कोविड और इनफ्लूएंजा के लक्षणों वाले मरीजों की रिपोर्ट देने के निर्देश दिए गए हैं, चीन में छोटे बच्चों में ये बीमारी जानलेवा साबित हो रही है।
मध्यप्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार के निर्देश के बाद अलर्ट जारी किया है। स्वास्थ्य विभाग ने बच्चों में इन्फ्लूएंजा और निमोनिया के लक्षणों की निगरानी करने को कहा है। स्वास्थ्य मंत्रालय को केंद्र सरकार ने दिशा-निर्देशों का पालन करने का आदेश दिया है। उज्जैन में भी इसकी एडवाइजरी 29 नव बर को पहुंच चुकी है। हालांकि फिलहाल सावधानी बरतने के लिए गाइडलाइन जारी की गई हैं।
ज्ञात रहे कि चीन में फैल रही इस बीमारी को निमोनिया कहते हैं क्योंकि इसके कुछ लक्षण आम निमोनिया से मिलते-जुलते हैं और कुछ अलग हैं। इसलिए चीन में इस रहस्यमयी बीमारी का नाम निमोनिया है। चीन में वायरस काफी समय से मौजूद था, लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे लेकर चिंता व्यक्त की और इस पर कड़ी नजर रखने को कहा। डब्ल्यूएचओ ने इसे अभी महामारी नहीं घोषित किया है। लेकिन भारत के सभी राज्यों में मार्गदर्शिका दी गई है।
इन गाइड लाइनों का करें पालन
डब्ल्यूएचओ ने जारी की गाइड लाइन के अनुसार अपने घर और कार्यालय को साफ रखें। बुखार के लक्षण होने पर खुद से दवा न लें, डॉक्टर से सलाह लें। भीड़-भाड़ वाले इलाकों में जाने से बचें। भीड़-भाड़ वाले इलाकों में मास्क और सैनिटाइजर का प्रयोग करें। सोशल डिस्टैंसिंग का पालन करें। बच्चों और बुजुर्गों के आसपास साफ-सफाई का ध्यान रखें। खांसते या छींकते समय अपने मुंह को रूमाल या हाथ से ढंक लें।
यह निर्देश दिये मिशन संचालक ने
मिशन संचालक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन प्रियंका दास ने कलेक्टर, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी और सिविल सर्जन को भेजे गये पत्र में कहा है कि चीन में बच्चों में श्वसन की बीमारी के प्रकरणों में मीडिया रिपोटों द्वारा बढोतरी दर्ज हुई है। वर्तमान में उपलब्ध जानकारी के अनुसार, श्वसन संबंधी बीमारियों में वृद्धि मु य रूप से बच्चों में हो रही है और यह इन्फ्लूएंजा, माइकोप्लाज्मा निमोनिया, एसएआरसी-सीओवी-2 आदि जैसे सामान्य कारणों से होती है।
हालांकि उपलब्ध जानकारी से पता चलता है कि वर्तमान में चिंता की कोई आवश्यक नहीं है, परन्तु, प्रदेश में लोक स्वास्थ्य एवं अस्पताल की तैयारियों की समीक्षा करने का यह एक अवसर है। इसमें स्वास्थ्य सुविधाओं में अपेक्षित मानव संसाधन, अस्पताल के बिस्तर, जांच एवं परीक्षण, दवा एवं कंज्यूमेब्लस के साथ स्वास्थ्य सुविधाओं में संक्रामण नियंत्रण प्रथाओं की उपलब्धता सुनिश्चित किया जाना है।
कोविड-19 का पालन कर, यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि प्रदेश के समस्त शासकीय एवं निजी स्वास्थ्य संस्थाओं में आने वाले समस्त आईएलआई (इं लूएंजा लाइक इलनेस) और एसएआरआई (सीवियर एक्यूएट रिस्पेटरी इंफेक्शन) के प्रकरणों की रिपोर्ट आईडीएसपी (इंटीग्रेटेड डिसीज सर्विलांस प्रोग्राम) – आईएचआईपी (इंट्रीग्रेटेड हेल्थ इंफार्मेंशन प्लेटफार्म) पर दर्ज करें और इस रिपोर्टिंग की मॉनिटरिंग आईडीएसपी की जिला सर्विलेन्स इकाइयों के माध्यम से की जाए। उपरोक्त संदर्भित गाइडलाइन का पालन किया जाना सुनिश्चित करें।