एसआई झांझोट बोले-पूरे झोन के कर्मचारी गवाह, कभी किसी से पैसे नहीं मांगे
उज्जैन, अग्निपथ। नगर निगम में एक बार फिर से कर्मचारियों से रिश्वत मांगने का मामला सामने आया है। इस बार निगम के कर्मचारी ने ही रिश्वत मांगने का आरोप लगाते हुए सुनवाई नहीं होने पर जहर खाकर आत्महत्या करने की कोशिश की। कर्मचारी के जहर खाने की सूचना से पूरे निगम महकमें में हंगामा मच गया। कर्मचारी को सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया है। जहां उसका इलाज चल रहा है।
शुक्रवार शाम को पांच बजे सिविल अस्पताल में नगर निगम के सफाई कर्मचारी हंसराज पिता कैलाश घावरी को जहर खाने के चलते भर्ती कराया गया था। उसका तत्काल इलाज शुरू किया गया है। अब आईसीयू वार्ड में भर्ती है।
हंसराज के भाई राजू ने बताया कि भाई का कहना है कि झोन पांच के एसआई महेश झांझोट और उनका बेटा अंकित झांझोट उसे परेशान करते हैं। पैसे मांगते हैं। इससे परेशान होकर उसने अपना तबादला भैरूनाला क्षेत्र में कराने का आवेदन दिया था। तीन महीने से आवेदन पर कोई फैसला नही लिया गया है।
इधर इस मामले में महेश झांझोट का कहना है कि हंसराज के आरोप गलत है। पूरे झोन के 230 सफाई कर्मचारियों से पूछा जा सकता है। वे सभी पैसे मांगने के आरोप को गलत बताएंगे। उनका कहना है कि हंसराज वार्ड 38 से भेरूनाला इलाके में ट्रांसफर कराना चाहता है। उसकी नोटशीट भी डिप्टी कमिश्नर के पास भेज दी गई है। अब दो महीने से वहां से फैसला नहीं हुआ है। इसमें मेरा कोई कसूर नहीं है। अफसर फैसला करते हैं।
यह है घटनाक्रम
बताया जाता है कि दोपहर में वार्ड 38 के सब्जी मंडी इलाके में जमादार हिमेश मकवाना के पास सफाई कर्मचारी हंसराज घावरी पहुंचा था। मकवाना ने उसे काम बताया था। इस पर हंसराज ने ज्यादा काम कराए जाने का आरोप लगाते हुए काम करने से इनकार कर दिया था। इस पर मकवाना ने कहा कि वह किसी अन्य से काम करा लेगा। इसके बाद वह चला गया। शाम पांच बजे हंसराज के जहर खाने की सूचना से नगर निगम में हंडकंप मच गया।
मुझे हंसराज के जहर खाने की सूचना मिली है। मेरा कहना है कि वे अभी स्वस्थ्य होकर घर जाएं। दो तीन दिन बाद आकर मिले उनके तबादले और पैसे मांगने के आरोप की जांच कराई जाएगी। जांच में तथ्य सही पाए गए तो कार्रवाई की जाएगी। वैसे हंसराज के तबादले की नोटशीट मेरे पास से पाठक सर के पास भेजी जा चुकी है। हंसराज ने कभी भी पैसे मांगने की कोई शिकायत नहीं की है। जमादार हिमेश मकवाना बेहद सरल व्यक्ति है, उसे मैं पहले से जानता हूं। उसका कहना है कि काम बताने से नाराज होकर हंसराज चला गया था। अब जिस काम का पैसा मिलता है वह तो करना ही पड़ेगा।
-संजेश गुप्ता, डिप्टी कमिश्नर, स्वास्थ्य विभाग प्रभारी, उज्जैन नगर निगम