धार जिले में दो सीटों पर सिमटी भाजपा, कांग्रेस अपने गढ़ बचाने में सफल
धार, अग्निपथ। जिले की प्रदेश में एक अपनी अलग पहचान है। मगर यहां हर बार की तरह इस बार भी भाजपा को दो सीटों को जीतकर खुश होना पड़ा तो वहीं कांग्रेस ने अपनी पारंपरिक सीटों को फिर अपने पास रखा। वहीं राजनीतिक मायनों में देखा जाए तो आदिवासी बहुल जिले धार, झाबुआ, अलीराजपुर हमेशा की तरह इस बार भी कांग्रेस के पक्ष में हैं। यहाँ से अधिकांश सीटें कांग्रेस के पास आई हैं। धार पांच तो झाबुआ में दो आलीराजपुर में एक जीती है।
चुनाव परिणाम सामने आने के बाद जल्द ही मुख्यमंत्री सहित मंत्रिमंडल का शपथ विधि होगा। ऐसे में मंत्रिमंडल में शामिल होने वाले विधायकों को लेकर चर्चाओं का दौर शुरू हो चुका हैं। इस मर्तबा धार विधानसभा सीट को भी मंत्री पद मिलने की उम्मीद है। क्योंकि प्रदेश की वरिष्ठ महिला विधायकों में धार से चुनाव जीती नीना वर्मा का नाम भी सूची में शामिल हो सकता है। लगातार चौथी मर्तबा नीना वर्मा ने यह चुनाव जीता तथा धार को भाजपा का गढ बना दिया है।
जिले में सबसे बड़ी जीत भाजपा को धार सीट से मिली हैं। जिले की सात में से मात्र दो सीट ही भाजपा जीत पाई है। धरमपुरी सीट से जीते विधायक कालूसिंह ठाकुर महज 356 वोटों से विजय हुए हैं, ऐसे में उनकी बजाय प्रदेश संगठन धार की महिला विधायक पर भरोसा करके मंत्री बना सकता है।
बागी के बावजूद चुनाव जीता
धार सीट का चुनाव इस बार मुकाबला बडा रोचक रहा है। यहां से पूर्व भाजपा जिला अध्यक्ष राजीव यादव भी निर्दलीय मैदान में थे। भाजपा का बागी होने के बाद भी पूर्व केंद्रीय मंत्री विक्रम वर्मा की पत्नी ने चुनाव जीता है। नीना वर्मा ने कांग्रेस की प्रभा गौतम सहित पूरे परिवार को भी लगातार चौथी बार चुनाव हराया है। ऐसे में आदिवासी बाहुल्य जिले धार में भाजपा को एक मंत्री पद देना होगा, उपचुनाव के बाद भाजपा ने बदनावर के विधायक दत्तीगांव को मंत्री मंडल में शामिल किया था। हालांकि दत्तीगांव चुनाव अब हार चुके है। अब वर्मा समर्थक मंत्री पद को लेकर उत्साहित दिख रहे है।
संगठन होने के बाद भी हारे बदनावर
एक राज्यमंत्री, दो जिला अध्यक्ष, अल्पसंख्यक जिला होने के बाद भी चुनाव हारे क्योंकि जिले की दूसरी सबसे बड़ी सीट बदनावर में भाजपा की हार हुई हैं। यहां पर भाजपा को भितरघात के कारण हार मिली है। प्रदेश के निवृत्तमान उद्योग मंत्री व भाजपा प्रत्याशी राजवर्धनसिंह दत्तीगांव 2 हजार 976 वोटों से चुनाव हारे हैं। जबकि जिले में पार्टी में सबसे अधिक पद बदनावर के नेताओं के पास ही है। सामान्य सीट होने के कारण जिले का दूसरा सबसे बड़ा शक्ति केंद्र बदनावर ही रहा है।
वर्तमान भाजपा जिला अध्यक्ष मनोज सोमानी, युवा मोर्चा जिला अध्यक्ष जय सूर्या, राज्यमंत्री राजेश अग्रवाल, अल्पसंख्यक मोर्चा जिला अध्यक्ष बदनावर विधानसभा क्षेत्र से ही है। साथ ही दत्तीगांव प्रदेश में उद्योग मंत्री भी थे, इसके बावजूद भाजपा को यहां से हार मिली है। इतने नेताओं के जिले सहित प्रदेश की राजनीति करने के बाद भी भाजपा को भाजपा के ही लोगों ने यहां से हरा दिया है।
कुक्षी व गंधवानी बने कांग्रेस के गढ़
जिले की दो विधानसभा सीटें अब कांग्रेस का गढ़ बन चुकी हैं। गंधवानी व कुक्षी सीट से लगातार कांग्रेस के ही प्रत्याशी चुनाव जीत रहे हैं। गंधवानी से उमंग सिंघार लगातार चौथी बार विधायक चुने गए हैं। जबकि प्रदेश भाजपा संगठन ने इस सीट पर प्रत्याशी के लिए अधिक मेहनत की थी। राष्र्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय लगातार दौरे सहित सभा भी कर चुके थे, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी रोड शो किया था। इसके बावजूद लोगों ने कांग्रेस का ही साथ दिया।
इसी तरह की स्थिति कुक्षी विधानसभा सीट पर भी है। यहां से भाजपा ने प्रदेश संगठन मंत्री जयदीप पटेल को प्रत्याशी बनाया था। आचार संहिता लगने के पहले ही जयदीप के नाम की घोषणा हो चुकी थी। जिसके कारण पटेल को चुनाव प्रचार के लिए अतिरिक्त समय भी मिला। इसके बावजूद पटेल चुनाव हार गए। कुक्षी से सुरेंद्रसिंह बघेल लगातार तीसरी बार चुनाव जीते है। सरदारपुर में कांग्रेस से प्रताप ग्रेवाल ने लगातार दूसरी बार चुनाव जीता हैं, हालांकि उनकी जीत का आंकड़ा पिछले चुनाव से कम हुआ है। मगर यहाँ से वेलसिंह भूरिया को भाजपा ने मैदान में उतारा था। मगर लोगो का कहना है चेहरा नया होता तो भाजपा यहां से जीत जाती।
मनावर में कम से हुई हार
मनावर से कांग्रेस प्रत्याशी व जयस के संरक्षक डॉ हीरालाल अलावा चुनाव जीते हैं। यहां से भाजपा प्रत्याशी परमेश्वर शिवराम कन्नौज को महज 708 वोटों से हराया है। पिछला चुनाव संरक्षक अलावा 40 हजार के करीब वोटों से जीते थे। इस मर्तबा युवा चेहरे को भाजपा ने मौका दिया। गृहमंत्री शाह भी यहां पर चुनावी सभा को संबोधित कर चुके थे। जिसके कारण ही कांग्रेस कम वोट से ही चुनाव जीती है। इसी प्रकार की स्थिति धरमपुरी में भी रही हैं, यहां से भाजपा प्रत्याशी भी कम वोटों से चुनाव जीते है। मगर यहां भी भाजपा प्रत्याशी को भितरघात का सामना करना पड़ा। वहीं बाजारों में चर्चाओं का दौर है। कन्नौज को भी भाजपा के वहीं के पदाधिकारी को प्रदेश के बड़े नेताओं ने चुनाव हराया है।