जिला, चेरिटेबल हास्पीटल, प्रायवेट क्लिनिकों पर मरीजों की भीड़
उज्जैन, अग्निपथ। ठंड के बढऩे के कारण अब बच्चों सहित लोगों को कान के फंगल इंफेक्शन की समस्या होने लगी है। ऐसे में ईएनटी (नाक, कान, गला) विशेषज्ञों के पास मरीजों की भीड़ लगी हुई है। ठंडक का असर विशेषकर बच्चों के कानों को प्रभावित कर रहा है।
बारिश के दौरान अगस्त माह में आई फ्लू की बीमारी शुरू हुई थी। लेकिन एक माह पहले ही आई फ्लू ने कोहराम मचाना शुरू कर दिया था। हालत यह हो गई थी कि हर तीसरे घर में इसके पीडि़त पाये जा रहे थे। घर का एक व्यक्ति इस बीमारी से पीडि़त होता है तो पूरा घर इसकी चपेट में आ जाता है क्योंकि यह रोग छूत का रोग है। केवल स्पर्श से ही इसका संक्रमण दूसरे की आंखों में हो जाता है।
अब नई परेशानी सामने खड़ी हो रही है। आई लू के बाद अब कान के फंगल इंफेक्शन के मरीज भी बढऩे लगे हैं। हालांकि हर बार ठंड के दौरान फंगल इंफेक्शन के मरीजों की सं या बढ़ती है। लेकिन इस बार यह बीमारी भी काफी बढ़ रही है। ईएनटी विशेषज्ञों के यहां मरीजों की कतार लगी हुई हैं। सभी की एक ही समस्या है, कान में फंगल इंफेक्शन के कारण दर्द होना और इसमें कुछ चलने जैसा महसूस करना।
जिला और चेरिटेबल हास्पीटल में भीड़
ठंडक बढऩे के कारण इसके मरीज भी काफी संख्या में जिला और चेरिटेबल हास्पीटल पहुंच रहे हैं। प्रायवेट क्लिनिक में भी मरीजों की भीड़ लगी हुई है। चेरिटेबल हास्पीटल ईएनटी विशेषज्ञ ने बताया कि फंगल इंफेक्शन के मरीजों की सं या में वृद्धि हुई है। प्रतिदिन लगभग 40-50 मरीज चेरिटेबल हास्पीटल में देखे जा रहे हैं। मरीज खुद इलाज करते हुए अपने कान में कोई भी चीज डाल लेता है, जिसके चलते यह समस्या और बढ़ जाती है। जिला अस्पताल में भी आम दिनों से अधिक फंगल इंफेक्शन के मरीज आ रहे थे। ठंड से कान बहने की समस्या वाले मरीजों की परेशानी भी बढ़ जाती है। ऐसे मरीजों की संख्या में भी वृद्धि हो रही है।
इस तरह से बीमारी को गंभीर होने से रोकें
- फंगल इंफेक्शन होने के बाद कान में ईयर बड न डालें।
- लोकल या कंपनी का ईयर बड कान में इंज्यूरी पैदा कर देता है।
- कुछ लोग कान में तेल आदि डाल लेते हैं, जिससे परेशानी और बढ़ जाती है।
- बिना डॉक्टर के लिखे बाजार से ली गई दवाई से भी फंगस की गंभीरता बढ़ जाती है।
(ईएनटी विशेषज्ञ ने बताया)