सरकार किसी दल की बने मंत्रिमंडल में धार जिले का हमेशा रहा दबदबा
धार, (आशीष यादव) अग्निपथ। इतिहास गवाह है कि मध्यप्रदेश सत्ता चाहे किसी भी दल की रही हो आदिवासी बहुल धार जिले का मंत्रिमंडल में हमेशा दबदबा रहा है। जिले की राजनीति ने मध्य प्रदेश में अपना प्रभाव रखने वाले कई मंत्री दिए हैं। सत्ताधारी दल में चाहे डिप्टी सीएम हो या बड़े विभागों के मंत्री हो या बात की जाए नेता प्रतिपक्ष की तो धार का प्रतिनिधित्व हमेशा धारदार रहा है। इस बार भी मंत्रिमंडल में धार को उसका सम्मान मिलेगा राजनीति से जुड़े लोग इसे लेकर अनुमान लगा रहे हैं।
प्रदेश की राजनीति में धार जिले की अलग पहचान है। यहां से कई नेताओ को चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचने पर सरकार में मंत्री और विपक्ष में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभाने का मौका मिला। इतिहास पर नजर डालें तो जिले से चुनाव जीतकर जाने वाले भाजपा-कांग्रेस के नौ नेता मंत्री बने।
इनमें अकेले जिले के निमाड़ अंचल से दो डिप्टी सीएम और आठ मंत्री रहे हैं। कांग्रेस शासन में सबसे अधिक मौका मिला। पार्टी से लंबे समय तक मंत्री रहने का सौभाग्य जमुनादेवी को मिला। कांग्रेस से जमुनादेवी और शिवभानुसिंह सोलंकी डिप्टी सीएम भी रहे। वहीं भाजपा में वरिष्ठ नेता विक्रम वर्मा समेत रंजना बघेल बीजेपी की सरकार बनने पर दो बार मंत्री पद पर काबिज रहे।
फतेहभानुसिंह बने थे पहले राज्यमंत्री
धरमपुरी विधानसभा क्षेत्र के तहत ग्राम भुवान्या में जन्मे कुंवर फतेहभानुसिंह पहले ऐसे विधायक थे, जो 1960-65 में गोविंद नारायण सिंह के मुख्यमंत्री काल में कृषि मंत्री रहे। इसके बाद भी उन्होंने तीन बार विधानसभा व एक बार लोकसभा चुनाव लड़ा था। उनके बाद की पीढ़ी आगे चलकर कांग्रेस के लिए राजनीति करने लगी।
मंत्री-नेता प्रतिपक्ष रहे जमुनादेवी और विक्रम वर्मा
कांग्रेस की कद्दावर नेत्री जमुनादेवी और भाजपा नेता विक्रम वर्मा ऐसे दो बड़े नाम हैं, जो मंत्री और नेता प्रतिपक्ष रह चुके हैं। जमुनादेवी 1985 से 2008 तक लगातार अलग-अलग पदों पर रहीं। वे एक बार उपमुख्यमंत्री के पद पर भी रही है और 2003 से 2008 के बीच मप्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभाई। इसी प्रकार विक्रम वर्मा 1980 और 1990 में कैबिनेट मंत्री और 1993 से 1998 तक विपक्ष के नेता रहे।
इस बार भी मिलेगा मौका नीना वर्मा और कालूसिंह ठाकुर प्रबल दावेदार
इस बार 2023 के विधानसभा चुनाव में धार जिले की सात सीटो पर चुनाव हुए थे जिसमें से 5 पर कांग्रेस तो 2 पर भाजपा ने जीत हासिल की है। धार से नीना वर्मा लगातार चार चुनाव जीतने के कारण मंत्री पद की प्रबल दावेदार हैं। इस बार पिछली भाजपा सरकार में मंत्री रहे राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव के चुनाव हार जाने के बाद नीना वर्मा की दावेदारी और भी प्रबल हो गई है।
वही2013 मैं भी विधायक निर्वाचित होने के बाद इस बार भी धरमपुरी से जीत कर आए कालूसिंह ठाकुर भी मंत्री पद के प्रबल दावेदार हैं क्योंकि जिले की 5 में से चार आदिवासी सीटों पर कांग्रेस जीती है और एकमात्र धरमपुरी ऐसी सीट है जहां से ठाकुर ने भाजपा का सम्मान बचाया है।
ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि जिले के विधायक उमंग सिंघार को कांग्रेस नेता प्रतिपक्ष बना सकती है ऐसे में आदिवासी क्षेत्र में पार्टी को मजबूत बनाए रखने के लिए भारतीय जनता पार्टी कालूसिंह ठाकुर को मंत्रिमंडल में स्थान दे सकती है। वही निगम मंडल में कैबिनट मंत्री के रूप में राजवर्धनसिंह दत्तीगांव का नाम भी होगा शामिल।