सुसनेर, (मंजूर मोहम्मद कुरैशी) अग्निपथ। अनियमितताओं व भ्रष्टाचार को लेकर पिछले कुछ वर्षो से सुर्खियों में बनी क्षेत्र की सहकारी संस्थाओं में अब अधिकारियों व कर्मचारियों की मनमानी का एक और कारनामा सामने आया है। क्षेत्र की प्राथमिक कृषि साख सहकारी संस्था जामुनिया में करोड़ों रुपए के गबन एवं धोखाधड़ी के मामले में न्यायालय से दंडित कर्मचारी अब भी संस्था में पदस्थ होकर वेतन ले रहे हैं।
प्राथमिक कृषि साख सहकारी संस्था जामुनिया में सहायक प्रबंधक हेमराज सिंह, सेल्समैन सुजान सिंह व अन्य कर्मचारी प्रेमसिंह द्वारा संस्था में लाखों रुपए का गबन किया गया है। जिसमें उक्त व्यक्तियों के विरुद्ध सुसनेर थाने में विभिन्न धाराओ के अंतर्गत अपराध क्रमांक 36/2018 दर्ज कराया गया था। प्रकरण नंबर 49/2018 में मामले की सुनवाई करते हुए न्यायालय उक्त सभी आरोपियों को दोषी पाकर 30 जून 2021 को निर्णय सुनाते हुए 3-3 साल के सश्रम करवास के साथ अर्थ दण्ड से दण्डित किया है।
लेकिन आरोपियों को आज तक संस्था के पद से नहीं हटाया गया है। जिसका फायदा उठाते हुए आरोपी कर्मचारी आज भी संस्था में सेवा देकर वेतन ले रहे है। कर्मचारियों के पद पर बने रहने से पद के दुरुपयोग व भ्रष्टाचार की आशंका बनी हुई है। जबकि उक्त कर्मचारियों की शिकायत भी जिम्मेदारों से की हुई है।
प्रबंधक ने बेटे को भी दे दी नौकरी, पत्नी को किसान बताकर दो संस्थाओं से ले लिया कर्ज
प्राथमिक कृषि साख सहकारी संस्था जामुनिया के वर्तमान प्रबंधक कैलाश जैन पर गणेशपुरा सोसायटी में प्रबंधक रहने के दौरान पांच करोड़ का घोटाले का मामला चला था। न्यायालय में प्रकरण विचाराधीन होने के दौरान ही प्रबंधक जैन बहाल हो गए। बहाल के आदेश के स्पष्ट उल्लेख है कि इनको वित्तीय अधिकार नहीं दिए जाए। बावजूद इसके अधिकरियों ने जमुनिया उन्हें संस्था में प्रबंधक बना दिया। अपने पुत्र को भी संस्था में नौकरी पर रख लिया।
यही नहीं कैलाश जैन ने गणेशपुरा संस्था के प्रबंधक होने के दौरान अपनी पत्नी को गणेशपुरा व सुसनेर दो संस्थाओं में किसान बताकर ऋण भी ले लिया। जबकि नियमानुसार किसी भी किसान को एक ही संस्था से ऋण प्राप्त करने का अधिकार है। अगर मामले की निष्पक्षता के साथ जांच की जाए और दोनों संस्थाओ के रिकार्ड खंगाले जाए तो सच्चाई सामने आ सकती है।