राज्य स्तरीय शिशु रोग विशेषज्ञ सम्मेलन 54 वें एमपी पेडिकॉन का आयोजन 16 से
उज्जैन, अग्निपथ। नवजात शिशुओं की मृत्युदर को कम करने और कुपोषण से निपटने के कारणों और उपाय के विषय में देश के 600 से ज्यादा शिशुरोग चिकित्सक और विशेषज्ञ दो दिनों तक उज्जैन में 16 दिसंबर से चर्चा करेंगे। शिशु रोग निदान के उपायों की जानकारी देने वाले बेस्ट रिसर्च पेपर को अवार्ड भी दिया जाएगा।
यह जानकारी डॉ. रवि राठौर, डॉ एमडी शर्मा, डॉ दुर्गेश माहेश्वरी, डॉ प्रमोद कौशिक, डॉ नीरज गुप्ता, डॉ श्रीपाद देशमुख डॉ जगदीश मांडलिया ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए दी। उन्होंने बताया कि दस साल के अंतराल के बाद 54वीं एमपी पेडिकॉन का आयोजन उज्जैन में किया जा रहा है। इश बार मुख्य थीम शिशु रक्षा एवं कुपोषण के बचाव का है।
सम्मेलन के सचिव डॉ मांडलिया ने बताया कि सम्मेलन में आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज, यूनिसेफ, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है। स मेलन का उद्घाटन थैलेसीमिया से पीडि़त बालक अथर्व द्वारा दीप प्रज्जवलित करके किया जाएगा। अतिथि के रूप में अंतरराष्ट्रीय शिशु विशेषज्ञ संस्थान के निदेशक डॉक्टर नवीन ठक्कर, अध्यक्षता बंसत खलतकर अध्यक्ष राष्ट्रीय शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ प्रिंयक दास निदेशक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, डॉ संजय गोयल कमिश्नर उज्जैन रहेंगे। डॉ रवि राठौर वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ ने बताया कि इस दो दिवसीय राज्य स्तरीय शिशु रोग विशेषज्ञ स मेलन में प्रमुख वक्ता के रूप में यूनिसेफ के नवजात रोग विशेषज्ञ डॉ विवेक सिंह गहन चिकित्सा इकाई अपना व्याख्यान देंगे।
पुणे के डॉ प्रदीप सूर्यवंशी, डॉ प्रेमलता पारीक की स्मृति में नवजात शिशु चिकित्सा में एडवांसमेंट पर अपना व्याख्यान देंगे। वहीं नागपुर के डाक्टर सतीश देव पुजारी, डॉ नवीन ठक्कर, डॉ शिल्पा सक्सेना, डॉ रवि त्रिपाठी, डॉ प्रशांत अग्रवाल, डॉ गोरी पासी, डॉ रचना दुबे, डॉ विवेक सिरोलिया, डॉ शिवानी पटेल, डॉ प्रीति मालपानी आदि व्या यान देंगे।
कार्यक्रम के वैज्ञानिक समन्वयक डॉ आशीष पाठक ने बताया कि प्रदेश के पीजी स्टूडेंट के 110 शोष पत्रों में से दो शोध पत्रों डॉ जेएन पोहावाला अवार्ड एवं डॉ डीके श्रीवास्तव अवार्ड से स मानित किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि शिशुकुंभ के एक दिन पहले 15 दिसंबर को कार्यशाला में देश विदेश के अनुभवी एवं वरिष्ठ विशेषज्ञों को इंटरवेशनल प्रक्रियाओं का सजीव प्रदर्शन किया जाएगा। इसमें 120 शासकीय और प्राइेट प्रतिभागी मौजूद रहेंगे। मांडलिया ने बताया कि मप्र मेडिकल काउंसिल द्वारा सतत चिकित्सा पाठ्यक्रम के अंतर्गत इस कांफ्रेंस की सहमति प्रदान की गई है।
श्योपुर में सबसे ज्यादा कुपोषण और सागर में सबसे कम
पत्रकारों से चर्चा करते हुए डॉ ने बताया कि मप्र में श्योपुर में सबसे ज्यादा कुपोषण हैं। जबकि सागर में सबसे कम कुषोषण है। एक साल से कम उम्र के बच्चों को बचाने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के माध्यम से सहयोग दिया जा रहा है।